अयोध्या टाइटल केस: निर्णायक पड़ाव पर सुनवाई,सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम जिरह के लिए सभी पक्षों से समय सारिणी मांगी

नई दिल्ली। अयोध्या टाइटल केस में मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी जा रही है। मंगलवार की सुनवाई में सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अब सभी पक्ष अंतिम जिरह के लिए उन्हें समय सारिणी मुहैया कराएं ताकि वो इस विषय पर अंतिम फैसला कर सकें। सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकारों की तरफ से करीब 16 दिन दलील रखी गई और उसके बाद मुस्लिम पक्षकारों ने अपना पक्ष रखना शुरू किया।
मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से जिरह करते हुए वकील राजीव धवन ने दिलचस्प टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि और राम जन्म स्थान में फर्क है। राम जन्म स्थान का मतलब पूरी अयोध्या से है और उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकता है, यहां तक कि बाबर, अंग्रेज या मौजूदा शासन जबकि रामजन्मभूमि का संबंध सिर्फ विवादित भूमि से है। लेकिन हिंदू पक्षकारों की तरफ से जो दलील दी गई है उसमें जन्मस्थान का जिक्र है। वो समझते हैं कि अगर जन्मस्थान को केंद्रबिंदू मानकर सुनवाई होगी तो कोई केस नहीं रह जाता है।
जहां तक राम को देवता मानने का सवाल है तो वो खुद एक पक्षकार बनकर अपनी बात नहीं रख सकते हैं। उनकी तरफ से कोई व्यक्ति मुकदमा लड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिरह के दौरान पूछा था कि क्या मुस्लिम पक्षकारों के पास ऐसा कोई सबूत है जिससे यह पता चलता है कि वहां पर मस्जिद नहीं थी। इस सवाल के में राजीव धवन की तरफ से गोलमोल जवाब दिया गया था।
अदालत में हिंदू पक्षकारों ने कहा था कि पुरातात्विक साक्ष्य इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि विवादित जमीन पर मंदिर था और 16वीं शताब्दी में आक्रांता बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर की जगह पर मस्जिद बनाई। इसके साथ ही मुस्लिम विधान की बात करें तो इसके बारे में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जहां पूजा अर्चना की जाती हो वहीं नमाज अता नहीं की जा सकती है।