ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अपनी सैलरी से नहीं चला पा रहे घर, पद से देंगे इस्तीफा!

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अपनी सैलरी से नहीं चला पा रहे घर, पद से देंगे इस्तीफा!

अगर आप भी नौकरी करते हैं. तो अपनी सैलरी देखकर आपके मन में भी ये ख्याल कभी ना कभी जरूर आता होगा कि आपको आपके काम के बदले में जो तनख्वाह मिल रहे हैं वो पर्याप्त नहीं है. इससे आपका घर नहीं चल रहा और आपको अपनी नौकरी छोड़ देनी चाहिए. अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप अकेले नहीं हैं, क्योंकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन तक को ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें जो तनख्वाह मिलती है वो काफी नहीं है और इसलिए वो अगले वर्ष मार्च महीने तक इस्तीफा देना चाहते हैं. ये बातें ब्रिटेन के एक अखबार को बॉरिस जॉनसन की ही पार्टी के एक सांसद ने नाम ना छापने की शर्त पर बताई है।

12 लाख रुपये महीना कमाते हैं बॉरिस जॉनसन


इस सांसद के मुताबिक बॉरिस जॉनसन को लगता है कि प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी मौजूदा सैलरी उनकी पिछली नौकरी के मुकाबले कम है और इस सैलरी में उनके घर का खर्च ठीक से नहीं चल पाता. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की सालाना सैलरी 1 करोड़ 43 लाख रुपये है. ये उनकी CTC है इसमें से कुछ पैसा पेंशन के रूप में भी कट जाता है. कुल मिलाकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के पास इन हैंड सैलरी के रूप में हर महीने करीब 12 लाख रुपये आते हैं और बॉरिस जॉनसन को लगता है कि ये काफी नहीं है।

पिछली नौकरी में इतनी थी जॉनसन की कमाई


बॉरिस जॉनसन इससे पहले ब्रिटेन के एक अखबार के लिए कॉलम लिखा करते थे और इसके लिए उन्हें 22 लाख रुपये प्रति महीना मिलते थे. इसके अलावा ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने सिर्फ दो भाषण देकर ही डेढ़ करोड़ रुपये कमा लिए थे. यानी आप कह सकते हैं कि आज बॉरिस जॉनसन को जो तनख्वाह मिल रही है वो उनकी पिछली सैलरी के अदायगी (Reimbursement) के बराबर भी नहीं, और इसलिए वो ब्रेक्सिट की प्रक्रिया पूरी करने के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ देना चाहते हैं।

2010 में 200% सैलरी बढ़ने पर भी नाखुश से सांसद  


क्या आपको भी ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री या सांसद जैसा पद तो जनता की सेवा के लिए होता है, इसमें सैलरी की बात कहां से आ गई? लेकिन सच ये है कि पूरी दुनिया के सांसद और मंत्री लगातार अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग करते हैं. वर्ष 2010 में जब भारत के सांसदों की सैलरी 200 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोशिश की गई थी, तब सांसदों को उनकी तनंख्वाह में ये वृद्धि भी कम लगी थी।

पूरी दुनिया में जब भी सांसदों की सैलरी बढ़ाई जाती है तो सबकी सैलरी एक साथ और बराबर बढ़ती है. यानी नेताओं की सैलरी में वृद्धि उनकी प्रदर्शन से जुड़ी हुई नहीं होती. जबकि प्राइवेट नौकरियों में ऐसा नहीं होता और वहां कर्मचारियों का वेतन वृद्धि उनके प्रदर्शन के हिसाब से ही होता है. दुनिया के ज्यादातर देशों में प्रधानमंत्रियों को जो तनख्वाहें मिलती हैं वो उस देश के लोगों को मिलने वाली औसत सैलरी से अक्सर ज्यादा ही होती है।

सिंगापुर के प्रधानमंत्री की सैलरी विश्व में सबसे अधिक


इनमें सबसे आगे सिंगापुर है. जहां प्रधानमंत्री की वार्षिक सैलरी 11 करोड़ 82 लाख रुपये से ज्यादा होती है. दूसरे नंबर पर हांग कांग के मुख्य कार्यकारी का पद है, जिसपर बैठने वाले को हर साल 4 करोड़ 17 लाख रुपये मिलते हैं. तीसरे नंबर पर स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति हैं, जिनकी सालाना सैलरी साढ़े तीन करोड़ रुपये है. 3 करोड़ रुपये की वार्षिक सैलरी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति चौथे नंबर पर है।

हर महीने 2 लाख रुपये कमाते हैं पीएम मोदी


भारत की बात करें तो यहां प्रधानमंत्री को हर महीने सैलरी के रूप में 2 लाख रुपये मिलते हैं, जो दुनिया के बाकी राष्ट्र अध्यक्षों की सैलरी के मुकाबले बहुत कम हैं. कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी संपत्ति और बैंक बैलेंस की डिटेल्स को सार्वजनिक किया था, जिसके मुताबिक जून के आखिर तक उनके पास कैश के रूप में सिर्फ 31 हजार 450 रुपये थे. जबकि इसी दौरान उनका बैंक बैलेंस था 3 लाख 38 हजार रुपये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 वर्ष के हैं और जो जानकारी उन्होंने दी है उसके मुताबिक उनके पास कोई लोन नहीं है और वो कोई EMI भी नहीं चुकाते. प्रधानमंत्री मोदी के पास सोने की 4 अंगूठियां है जिनकी कीमत 1 लाख 51 हजार रुपये है।

क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय पोल


नेताओं के बाद अब सैलरी को लेकर आप लोगों के दर्द को भी समझ लीजिए. पोल करने वाली एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था Gallup के मुताबिक दुनियाभर में फुल टाइम नौकरी करने वाले 85 प्रतिशत कर्मचारी अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं और कर्मचारियों के असंतोष के पीछे एक बड़ी वजह उनकी सैलरी होती है. एक सर्वे के मुताबिक, भारत के भी 75 प्रतिशत कर्मचारी अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है और इसके पीछे भी एक बडी वजह कम तनख्वाह है।

यानी कोई व्यक्ति चाहे किसी भी पद पर हो, नौकरी-नौकरी होती है और उससे मिलने वाली सैलरी-सैलरी होती है. लगभग हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी सैलरी तेज रफ्तार से बढ़े और उसकी सीटीसी और इन हैंड सैलरी का अंतर कम से कम हो. लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि ये सब आपके परिश्रम और पुरुषार्थ से ही संभव है. और जो व्यक्ति मेहनत करता है उसे जीवन के ऑफर लेटर में सिर्फ खुशियां ही खुशियां मिलती है और खुशियों के स्त्रोत पर कोई टैक्स नहीं कटता।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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