केंद्रीय गृह मंत्रालय का नया बयान, 01 जुलाई 1987 से पहले जन्मे या जिनके माता-पिता की पैदाइश इससे पहले की, वे सभी भारतीय

केंद्रीय गृह मंत्रालय का नया बयान, 01 जुलाई 1987 से पहले जन्मे या जिनके माता-पिता की पैदाइश इससे पहले की, वे सभी भारतीय
 दिल्ली। एनआरसी और कैब को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए। वहीं मुस्लिम समाज के अलावा छात्र छात्राओं, हिन्दू समाज और कई अधिवक्ता संगठन भी विरोध करने सड़कों पर उतर आए हैं, दिनों दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं और देश के कई सामाजिक संगठन भी विरोध दर्शाने सामने आते जा रहे हैं, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाएं दायर हो रही है। इसके चलते ही केंद्रीय सरकार ने इसमें संशोधन करने एवं कई अन्य सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार हो गया है। लेकिन विरोध प्रदर्शन कम होने की बजाए और अधिक बढ़ता जा रहा है, आज दिन में देश भर में हुए प्रदर्शन ने केंद्रीय सरकार को भयभीत कर दिया जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालात को काबू में करने के लिए नया बयान दिया है, जोकि राहत भरा है। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर गृह मंत्रालय की ओर से को बयान आया।  मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत में जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ या जिनके माता-पिता 1987 से पहले जन्मे हैं, वे कानूनन भारतीय नागरिक हैं। नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशभर में एनआरसी लागू होने पर उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।’’नागरिकता जन्म तिथि या जन्म स्थान से साबित की जा सकेगी –उन्होंने कहा, ‘‘भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्मस्थान या दोनों से संबंधित कोई भी दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है। आने वाले समय में गृह मंत्रालय नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए काम कर रहा है।’’एक सूची में कई आम दस्तावेज शामिल करने की संभावना –अधिकारी ने कहा, ‘‘भारतीय नागरिकों को माता-पिता या दादा-दादी के जन्म प्रमाणपत्र जैसे 1971 के पहले के दस्तावेजों से विरासत साबित नहीं करनी होगी। एक सूची में कई आम दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है, ताकि यह तय किया जा सके कि कोई भी भारतीय नागरिक बेवजह परेशान न हो।’’ असम का मामला अलग है –
नागरिकता कानून के 2004 के संशोधनों के मुताबिक, असम में रहने वालों को छोड़कर देश के बाकी हिस्से में रहने वाले ऐसे लोग जिनके माता या पिता भारतीय नागरिक हैं, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भी भारतीय नागरिक ही माना जाएगा। असम के मामले में भारतीय नागरिक होने की पहचान के लिए 1971 को आधार वर्ष बनाया गया है।

Sunil Agrawal

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