अयोध्या केस सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नहीं निकलेगा विजय जुलूस

दिल्ली।
एडीजी जोन सुजीत पांडे, कमिश्नर आशीष गोयल, डीआईजी के पी सिंह, डीएम भानु गोस्वामी व एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बुधवार को पुलिस लाइन में धर्म गुरुओं के साथ बैठक की। बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि, जूना अखाड़ा के रविशंकर, महानिर्वाणी के महंत यमुना पूरी, आचार्य छोटेलाल समेत एक दर्जन से अधिक संत महात्मा मौजूद थे। इस दौरान पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने उनसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला का सब को सम्मान करना चाहिए, फैसला किसके पक्ष में आए कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
आपसी भाईचारा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि धर्म गुरु ऐसे नवयुवकों को काबू में रखें जिसकी जरा सी बात पर भावनाएं आहत हो जाती है। अगर कोई आदेश नहीं मानेगा तो पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज नहीं करेगी।
मस्जिदों में ध्यान रखेंगे मौलाना
शाम को पुलिस लाइन में मौलाना व अन्य लोगों के साथ एडीजी ने बैठक की। इस दौरान चौक जामा मस्जिद के सचिव पूर्व कर्नल सैयद अबरार, सिया जामा मस्जिद के मौलाना मेहंदी रजा, वसीउल्ला मस्जिद के मौलाना असद उल्लाह कासिम, समाजसेवी नदीम अली और फरहान सिद्दीकी समेत दर्जनों संभ्रांत व्यक्ति मौजूद थे। पुलिस अफसरों ने कहा कि मस्जिद में अनाउंस कर के लोगों को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं चाहिए। मस्जिद में अगर कोई नया चेहरा नजर आता है, तो उसके बारे में पूछताछ करें। मोहल्ले में कोई भड़काऊ बयान देता है या सोशल साइट्स पर आपत्तिजनक मैसेज भेजता है, तो इसकी जानकारी तत्काल पुलिस को दें। इस दौरान समाजसेवी व अन्य लोगों ने पुलिस से भी कहा कि, उन्हें पुलिस मित्र का कारण दें ताकि भीड़ में पुलिस के साथ रह कर मदद कर सके। धर्मगुरु और मौलाना के साथ पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक हुई है। सभी को बता दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा अगर किसी ने अफवाह फैलाने की कोशिश की तो उसके खिलाफ सख्ती की जाएगी।
अयोध्या पर कभी भी आ सकता है फैसला…
अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 दिनों के अंदर कभी भी आ सकता है। इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। खासकर शहर के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, इस बीच बुधवार को मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या भूमि विवाद पर शीर्ष अदालत का जो भी फैसला होगा उसे माना जाएगा, हालांकि उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आएगा। साथ ही मदनी ने सभी से न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की अपील की है, मदनी ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा है कि हम ने सुप्रीम कोर्ट में अपने सबूत पेश किए हैं। उम्मीद है कि शीर्ष अदालत कानून के आधार पर फैसला देगी, ना की आस्था के आधार पर। उन्होंने कहा कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र हर हाल में कायम रहना चाहिए।
कुछ महीने पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से उनकी मुलाकात भी इस मुद्दे को लेकर हुई थी, हम अपने अपने नजरिये पर रहकर इस बात पर सहमत हुए हैं कि देश में हिंदू मुस्लिम एकता हर हाल में बनी रहनी चाहिए। इसके लिए भागवत भी कोशिश कर रहे हैं, और हम भी कोशिश कर रहे हैं मदनी ने कहा कि मस्जिद को लेकर मुसलमानों का मामला पूरी तरह से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है। बाबरी मस्जिद का निर्माण किस मंदिर को तोड़कर नहीं कराया गया है अदालत के फैसले से पहले किसी तरह की मध्यस्थता की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद सरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी। किसी शख्स के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विकल्प की उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने दावा किया कि उन्होंने मध्यस्थता समिति से कहा था कि भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकार राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन आंगन के हिस्से पर अपना दावा छोड़ने को तैयार हैं और तीन गुम्बदों के नीचे की जगह मांग रहा है। कहा कि मध्यसत्थता की कोशिश 11 12 बार नाकाम हो चुकी थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कहा तो मैं मध्यस्थता के लिए सहमत हो गया मध्यस्थता का मतलब है कि सभी पक्ष कार अपने अपने रुख में थोड़ा नरमी लाए।