प्रधानमंत्री से कई गुना ज्यादा सेलरी पाते हैं इन राज्यों के मुख्यमंत्री….

संघीय शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री (Prime Minister) ज्यादा शक्ति संपन्न माना जाता है. वो देश का नेता होता है, वो नेता, जिसकी सरकार देश को चलाती है, नीतियां बनाती है और जरूरत पड़ने पर राज्यों के मामले में सलाह देती है या दखलंदाजी भी कर सकती है. हालांकि अधिकारों के हिसाब से एक मुख्यमंत्री अपने राज्य का सबसे शक्तिसंपन्न नेता होता है, जो राज्य की सरकार का मुखिया होता है. आमतौर पर लोगों का मानना होता है कि देशभर में सबसे ज्यादा सेलरी राष्ट्रपति की होती है. उसके बाद प्रधानमंत्री का नंबर आता है. लेकिन ऐसा नहीं है. कई राज्यों के मुख्यमंत्री की सैलरी पीएम से ज्यादा है. बेशक ये बात हैरान करने वाली हो लेकिन सच है।
कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री भारत के प्रधानमंत्री से कहीं ज़्यादा वेतन (Salary) पाते हैं, जी हां! ढाई गुने से भी ज़्यादा तक. आइए जानते हैं कि इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सेलरी कितनी है और वो कैसे तय होती है. किस वजह से उनका वेतन प्रधानमंत्री से ज्यादा होता है।
जब देश आजाद हुआ तब प्रधानमंत्री की सेलरी को लेकर तय नहीं था. जब नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो बड़ा मुद्दा ये था कि उनकी सैलरी क्या होगी. इस बारे में नेहरू ने कभी कोई पहल खुद से नहीं की. हालांकि उनकी कैबिनेट के कई मंत्रियों को लगता था कि जिस तरह ब्रिटेन का प्रधानमंत्री अपने कैबिनेट मंत्रियों की तुलना में दोगुना वेतन और अन्य सुविधाएं पाता है, वैसा ही भारत में भी होना चाहिए।
नेहरू ने मंत्री के बराबर तनख्वाह ली
तब देश में कैबिनेट मंत्रियों की सैलरी 3000 रुपए प्रति माह तय की गई. जब नेहरू कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य एन गोपालस्वामी आयंगर ने संसद में पीएम के वेतन को दोगुना करने का सुझाव दिया तो इसका एक ही शख्स ने विरोध किया, वो खुद नेहरू थे, जिन्हें ये कतई मंजूर नहीं था. आखिरकार नेहरू ने सैलरी के रूप में 3000 रुपए लेना स्वीकार किया, जितना वेतन एक कैबिनेट मंत्री का था।
विज्ञापनहालांकि इसके बाद प्रधानमंत्री की सेलरी को लेकर बार-बार संशोधन होते रहे. ताज़ा आंकड़ों के हिसाब से पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सैलरी 1 लाख 60 हज़ार रुपये प्रतिमाह है. लेकिन, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सैलरी 4 लाख रुपये तक या उससे भी ज़्यादा है. पहले देश के विभिन्न राज्यों के सीएम की सैलरी जानें और फिर पढ़ें कि ये वेतन कैसे और किन प्रावधानों के तहत तय होता है।
सबसे ज़्यादा सैलरी इस राज्य के सीएम की
तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री की सैलरी 4 लाख 10 हज़ार रुपये प्रतिमाह है. मुख्यमंत्रियों की सैलरी की लिस्ट में ये सबसे बड़ा आंकड़ा है. इसके बाद दिल्ली के सीएम का नंबर है, जिसकी सैलरी 3 लाख 90 हज़ार रुपये है. गुजरात के सीएम का वेतन 3.21 लाख रुपये प्रतिमाह है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का वेतन 3 लाख रुपये प्रतिमाह से ज़्यादा है. सीएम की सैलरी के लिहाज़ से इन राज्यों को टॉप 7 कहा जा सकता है।
इन राज्यों के मुख्यमंत्री भी पाते हैं ज्यादा
2 लाख रुपये से ज़्यादा और तीन लाख रुपये प्रतिमाह से कम सैलरी पाने वाले मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, गोवा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के सीएम शामिल हैं।
सबसे कम सैलरी त्रिपुरा के सीएम को मिलती है, जो एक लाख पांच हज़ार पांच सौ रुपये प्रतिमाह है. सीएम की सैलरी जहां इससे ज़्यादा और दो लाख रुपये से कम है, उनमें ज़्यादातर उत्तर पूर्व के राज्य शामिल हैं. ओडिशा के सीएम का वेतन प्रधानमंत्री के वेतन के बराबर यानी 1.60 लाख रुपये है।
कैसे तय होती है सीएम की सैलरी
यह पूरी तरह से राज्य की व्यवस्था और राजस्व की स्थिति से जुड़ा मामला है. देश के संविधान के आर्टिकल 164 में यह विचार है कि मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है. राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य विधायकों और विधायक दल के नेता के वेतन की राशि को लेकर निर्णय ले सकते हैं।
और क्या कहते हैं वेतन के ये आंकड़े
अव्वल तो ये कि उत्तर पूर्व के राज्यों की आमदनी या आर्थिक हालात कमज़ोर होने का इशारा मिलता है क्योंकि उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के वेतन की राशि सबसे कम है. दूसरी बात ये कि तेलंगाना, दिल्ली और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां मुख्यमंत्रियों का वेतन राज्यपालों की तुलना में ज़्यादा है. यह इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री की तुलना में राष्ट्रपति का वेतन ज़्यादा होता है. वर्तमान में देश के राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख प्रतिमाह है और भत्ते अलग हैं।
प्राइवेट सेक्टर में मिलता है इससे ज्यादा वेतन
वैसे देश के प्राइवेट सेक्टर में तमाम पदों पर नियुक्त लोगों की सैलरी इससे कहीं ज्यादा होती है. देश में कई ऐसी कंपनियां हैं, जिनके प्रमुख या चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर को 15 करोड़ से लेकर 165 करोड़ रुपए तक की सेलरी मिलती है. वैसे फिलहाल देश में सबसे ज्यादा सेलरी पाने वालों में सीपी गुरनानी ( CP Gurnani) का नाम आता है, जो टेक महिंद्रा के सीईओ हैं और उनका सालाना वेतन 165 करोड़ है।