यहां कभी लॉकडाउन हुआ ही नहीं….

यहां कभी लॉकडाउन हुआ ही नहीं….

पूरा विश्व कोरोना से डरता रहा लेकिन एक ऐसा देश था जिसने कोरोना को मात दी। वह देश है साउथ कोरिया। कोई देश कोरोना वायरस का सामना किस तरह करे? ऐसा लगता है कि साउथ इस्ट एशिया के एक देश ने इस सवाल का जवाब प्राप्त कर लिया है। साउथ इस्ट एशिया के इस देश में अप्रैल महीने से अभी तक रोज सामने आनेवाले कोरोना के केस औसत 77 हैं। यदि इसी तरह ही अमेरिका भी कोरोना पर नियंत्रण पा लेती तो वहां नए केस की औसत 480 होती, किंतु अमेरिका में नए केस की औसत 38 हजार है। तो जानें साउथ इस्ट एशिया के इस देश ने किस तरह से कोरोना पर नियंत्रण पाया। वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार साउथ एशिया के इस देश ने सीधे, लचिले और तुलनात्मक तौर पर सरल लागू की जा सके ऐसा मोडल अपनाया। इसका लाभ यह हुआ कि न सिर्फ मौतों का आंकड़ा कम हुआ, बल्कि देश की अर्थतंत्र भी मजबूत रही। (इस देश की इकोनॉमी में 1 प्रतिशत से भी कम कमी का अनुमान लगाया गया है।)

कोई देश कोरोना वायरस का सामना किस तरह करे? ऐसा लगता है कि साउथ इस्ट एशिया के एक देश ने इस सवाल का जवाब प्राप्त कर लिया है। साउथ इस्ट एशिया के इस देश में अप्रैल महीने से अभी तक रोज सामने आनेवाले कोरोना के केस औसत 77 हैं। यदि इसी तरह ही अमेरिका भी कोरोना पर नियंत्रण पा लेती तो वहां नए केस की औसत 480 होती, किंतु अमेरिका में नए केस की औसत 38 हजार है। तो जानें साउथ इस्ट एशिया के इस देश ने किस तरह से कोरोना पर नियंत्रण पाया।

वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार साउथ एशिया के इस देश ने सीधे, लचिले और तुलनात्मक तौर पर सरल लागू की जा सके ऐसा मोडल अपनाया। इसका लाभ यह हुआ कि न सिर्फ मौतों का आंकड़ा कम हुआ, बल्कि देश की अर्थतंत्र भी मजबूत रही। (इस देश की इकोनॉमी में 1 प्रतिशत से भी कम कमी का अनुमान लगाया गया है।)

रिपोर्ट के अनुसार चीन के पड़ोसी ऐसे इस देश ने जिस तरह से लोगों का कोरोना टेस्टिंग किया ऐसा अन्य किसी देश ने नहीं किया। यहां टेक्नोलॉजी का भी व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया है और सेन्ट्रलाइज्ड कंट्रोल तथा कम्युनिकेशन मोडल को अपनाया गया, किंतु एक जरुरी बात यह रही कि इतना सब कुछ करने के बाद भी साउथ कोरिया लगातार एक डर में रहा। वह डर था-असफल होने का डर। अब ऐसा लग रहा है कि इस डर ने ही साउथ कोरिया को जीत की तरफ आगे ले जाने में मदद की।

साउथ कोरिया की जनसंख्या 5.16 करोड़ है। अमेरिका की जनसंख्या 32.82 करोड़ है। यानि कि 6 गुणा से थोड़ा अधिक। साउथ कोरिया में कोरोना का कुल केस 23 हजार से जरा अधिक है। अमेरिका में 73 लाख से अधिक, अर्थात कि 309 गुणा, तो साउथ कोरिया में लगभग 400 लोगों की मौत हुई है, किंतु अमेरिका में 2 लाख 9 हजार लोगों की मौत कोरोना से हुई है।

साउथ कोरिया ने महामारी की शुरुआत में ही बहुत ही तेजी दिखाई। देश में तैयार कोरोना वायरस टेस्टिंग किट को स्वीकृति दी गई और टेक्नोलॉजी का जबरदस्त तौर पर उपयोग करने से आसपास के क्षेत्रों में किसी के भी संक्रमित होने पर तुरंत ही लोगों को मैसेज भेजना शुरु कर दिया गया। जब देश में फेस मास्क की कमी होने लगी तो सरकार ने उत्पादन पर अपना नियंत्रण कर लिया था।

साउथ कोरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कोरोना को पूरी तरह गंभीरता से लिया गया और एक दिन में दो-दो बार ब्रीफिंग करने लगे। लोगों को लगातार महामारी की चेतावनी दी गई। देश में लगभग हरेक व्यक्ति ने मास्क पहना। हरेक संक्रमित, लक्षण वाले और लक्षण बिना के लोगों को अस्पताल या सरकार संचालित अन्य जगहों पर आइसोलेट किया गया। ट्रीटमेन्ट फ्री कर दी गई। यही कारण है कि साउथ कोरिया में कभी भी लॉकडाउन लागू नहीं की गई। रेस्टोरंट और अन्य बिजनेस खुले रहे, जिसके कारण इकोनॉमी भी ध्वस्त नहीं हुई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साउथ कोरिया की तारीफ की है। संगठन ने कहा कि जिस तरह साउथ कोरिया ने वायरस को नियंत्रित किया और उसके साथ जीना सीखा ऐसा अन्य किसी देश ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि आपको वायरस को पूरी तरह खत्म करने की जरुरत नहीं है, बल्कि जीवन जीने का ढ़ंग बदलने की जरुरत है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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