पद्मनाभ स्वामी मंदिर हैं विश्व का सबसे अमीर मंदिर….

केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थापित भगवान विष्णु का ‘पद्मनाभ स्वामी मंदिर’ को विश्व का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है. इस मंदिर की कुल संपत्ति करीब 2 लाख करोड़ रुपये बताई जाती है. दुनिया के सबसे अमीर के मंदिर होने के साथ-साथ इसकी गिनती विश्व के रहस्यमयी मंदिरों में होती है. माना जाता है कि भारत तो क्या दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा महान पुरुष नहीं मिल पाया है जो इस मंदिर से जुड़े रहस्य की गुत्थी को सुलझा सके.

इस मंदिर का निर्माण 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने करवाया था, जिसके बारे में 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में काफी जानकारी हैं. इसके बाद 18वीं सदी में त्रावणकोर के शाही परिवार ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण भी कराया था. राज परिवार ने 1947 तक भारतीय संघ में विलय से पहले साउथ केरल और उससे सटे तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर राज किया था. आज़ादी के बाद भी मंदिर का सुचारू संचालन और मैनेजमेंट शाही परिवार के नियंत्रण वाला ट्रस्ट ही कर रहा है.
माना जाता हैं कि यदि इस मंदिर को किसी भी तरह से खोला गया तो ये नष्ट हो सकता है या किसी प्रकार का प्रलय भी आ सकता है. मंदिर के जानकर बताते हैं कि इस मंदिर में कुल 7 तहखाने बने हुए हैं और हज़ारों वर्ष पहले त्रावणकोर के महाराज ने इन तहखानों बेशकीमती ख़ज़ाना छुपा रखा था. तब से अब तक किसी ने भी इन रहस्यमय दरवाज़ों को खोलने का प्रयास नहीं किया हैं.

मंदिर का सातवें दरवाजें का रहस्य क्या हैं?
इस मंदिर का 7वां दरवाज़ा आज भी वहां के लोगों के लिए बड़ा रहस्य बना हुआ है. माना जाता है हज़ारों वर्ष पहले ख़ज़ाने की खोज में कुछ लोगों ने 7वें दरवाजे को खोलने का प्रयास किया था, हालाँकि ज़हरीले सांपों के काटने से सब लोगों की मौत हो गई थी. मंदिर का ये दरवाज़ा स्टील का बना हुआ है. इस पर 2 सांप बने हुए हैं, जोकि इस रहस्यमय दरवाजें की रक्षा करते हैं. हैरानी वाली बात ये हैं कि द्वार में कोई नट-बोल्ट या कब्ज़ा नहीं लगा हुआ हैं. जबकि इसे केवल कुछ विशेष मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है. इसे ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का इस्तेमाल करके बंद किया गया है.

15वीं शताब्दी में जब पुर्तगाली बिजेनस के लिए भारत में आये थे तो त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने पुर्तगाली समुद्री बेडे और उसके खजाने पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था. इस दौरान यूरोपीय भी मसालों के बिजनेस के सिलसिले में भारत आया करते थे. इस बीच त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने भी इस व्यवसाय को अजमा लिया था और उन्हें मसालों के बिजनेस से काफ़ी फ़ायदा भी होता था. इस दौरान उन्होंने अपनी व पूरे राज्य की सभी संपत्ति को ही मंदिर के तहखानों में रख दिया था.




तहखाने से मिल चुके हैं एक लाख करोड़ के गहने
वर्ष 1991 में त्रावणकोर के आखिरी महाराजा बलराम वर्मा के निधन के बाद 2007 में सुंदरराजन नाम के एक पूर्व आईपीएस ऑफिसर ने कोर्ट में याचिका दाख़िल कर राज परिवार के अधिकार को चुनौती दी थी. इसके बाद साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी तहखाने खोलकर ख़ज़ाने का मसौदा तैयार करने के आर्डर दिए थे. 27 जून 2011 को तहखाने खोलने का कार्य शुरू भी किया गया था. इस दौरान करीब 1 लाख करोड़ रुपये के हीरे और गहने बरामद हुए थे. इसी दौरान जब टीम ने मंदिर के 7वें द्वार को खोलने का प्रयास किया तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के फोटो को देखकर काम रोक दिया गया.
इतिहासकारों का मानना है कि वर्तमान में इस मंदिर के रहस्यमय खजाने में करीब 2 लाख करोड़ का सोना मौजूद है. हालाँकिर असल में इसकी अनुमानित राशि इससे 10 गुना ज़्यादा बताई जाती है. इस ख़ज़ाने में सोने-चांदी के गहने, हीरा, पन्ना, रूबी, कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां, जैसी कई बेशकीमती चीजें हैं. जिनकी असली कीमत का आंकलन करना बेहद कठिन है.
इस अद्भुत मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन के लिए महिलाओं को मुंडु यानी कि एक विशेष तरह की धोती पहननी होती हैं. भगवान विष्णु के दर्शन के लिए सलवार कमीज पहनकर आने वाली महिलाओं को अपने ऊपर धोती पहनकर मंदिर में एंट्री करने दिया जाता है. धोती पहनें बिना किसी महिलाओं व पुरुषों की मंदिर एंट्री वर्जित हैं.
कोरोना महामारी के बीच 5 महीने से बंद पड़े ‘पद्मनाभ मंदिर’ को 26 अगस्त से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है. हालाँकि मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को 1 दिन पहले बुकिंग करानी होगी.