वर्षा डोंगरे ने सीएम को लिखा पत्र…. 2003 बैच को आईएएस अवॉर्ड के प्रस्ताव पर आपत्ति

रायपुर। पीएससी-2003 बैच के डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवॉर्ड के लिए सूचीबद्ध करने का मामला तूल पकड़ रहा है। जेल अफसर वर्षा डोंगरे कुंजाम और उनके पति संतोष कुंजाम ने इस पर आपत्ति की है और इस सिलसिले में उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र भी लिखा है। पत्र में उन्होंने बताया है कि उक्त बैच की चयन परीक्षा में हर स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। हाईकोर्ट ने भी गड़बड़ी को माना है। यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक किसी भी प्रकार का प्रमोशन का लाभ नहीं दिए जाने की गुजारिश की है।
सरकार डिप्टी कलेक्टर संवर्ग से आईएएस अवॉर्ड के लिए डीओपीटी को प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रही है। बताया गया कि सात रिक्त पद के लिए 21 अफसरों के नाम भेजे जाने हैं। इसमें वर्ष-2003 बैच के डिप्टी कलेक्टर संवर्ग के अफसर भी हैं। इस पर जेल अफसर श्रीमती वर्षा डोंगरे कुंजाम और संतोष कुंजाम ने पीएससी-2003 में भ्रष्टाचार की तरफ मुख्यमंत्री श्री बघेल का ध्यान आकृष्ट कराया है। कुंजाम दंपत्ति हाईकोर्ट के फैसले पर अमल कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने 88 पेज के निर्णय में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है कि राज्य सेवा परीक्षा 2003 में हर स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो लोग साक्षात्कार तक के लिए योग्यता नहीं रखते थे उन्हें चयनित किया गया है एवं चयनित अधिकारीगण अपने मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि लोक सेवा आयोग के द्वारा परीक्षा के हर स्तर पर किए गए भ्रष्टाचार के कारण चयनित और सेवारत हैं। प्रकरण में न्यायालय के समक्ष खुद राज्य शासन और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने लिखित में अपनी गलती होना स्वीकार किए हैं। राज्य शासन व लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में किसी भी स्तर पर चुनौती नहीं दी गई है।
पत्र में यह भी बताया गया कि राज्यपाल द्वारा राज्य शासन और लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ को अपनी गलती सुधार कर नई चयन सूची जारी करने हेत निर्देशित किया गया है। स्वयं लोक सेवा आयोग ने अपने तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक बीपी कश्यप के खिलाफ चार्जशीट में यह आरोप उल्लेखित किया है कि प्रारंभिक परीक्षा 2003 में अनुत्तीर्ण अभ्यार्थियों का चयन किया गया है एवं परीक्षा केन्द्रों में उन्हें दोषी सिद्ध होने पर राज्य शासन द्वारा दण्डित भी किया गया है।
खुद सरकार की जांच एजेंंसी एण्टी करप्शन ब्यूरो द्वारा उक्त परीक्षा परिणाम पर हुए व्यापक अनियमितताओंपर एफआईआर दर्ज कर भादवि 13 (1) डी, 13 (2) डी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विस्तृत अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार संबंधी 68 पृष्ठ की जांच रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन और राज्यपाल को प्रेषित किया गया। जेल अफसर ने कहा कि राज्यसेवा परीक्षा-2003 के भ्रष्टाचार का मामला सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में वर्ष 2016 से आज तक निर्णय हेतु लंबित है। अतएव भ्रष्टाचार से चयनित ऐसे अफसरों को आईएएस जैसे संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक सेवाओं का दायित्व देना न सिर्फ भारतीय प्रशासनिक सेवा बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी संकट पैदा करना होगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय तक उन्हें किसी भी प्रकार का प्रमोशन का लाभ न दिया जाए।