खांसी, बुखार और नाक बहने पर भी होगा कोरोना वायरस टेस्ट….

खांसी, बुखार और नाक बहने पर भी होगा कोरोना वायरस टेस्ट….

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन जारी है। बावजूद इसके लगातार नए केस सामने आ रहे हैं। आशंका है कि कहीं देश का कुछ हिस्सा कोरोना वायरस फैलने के तीसरे चरण तो प्रवेश नहीं कर गया है। इस बीच, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। आईसीएमआर के अनुसार, देश में जहां-जहां कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट नजर आ रहे हैं, वहां हर उस शख्स की जांच होगी जिसे बुखार, खासी, गले में दर्द है या नाक बह रही है। किसी भी शख्स में ये संकेत नजर आने के 7 दिन के अंदर कोरोना वायरस की जांच अनिवार्य होगी।

अभी तक श्वसन की गंभीर बीमारी से ग्रसित, सांस लेने में तकलीफ और बुखारी-खांसी वाले अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों की कोरोना जांच की जा रही थी। संक्रमित व्यक्ति के प्रत्यक्ष संपर्क में आने वाले बिना लक्षण वाले और हाई रिस्क वाले व्यक्तियों का भी संपर्क में आने के पांचवें और 14वें दिन टेस्ट किया जा रहा है।

इसके अलावा गाइडलाइंस के मुताबिक, ऐसे व्यक्तियों की भी जांच की जा रही थी जिन्होंने पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा की और जिनमें पहले लक्षण नहीं थे और बाद में दिखने लगे, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले ऐसे सभी व्यक्ति जिनमें लक्षण दिखाई दिए और ऐसे सभी स्वास्थ्यकर्मी जिनमें लक्षण दिखाई दिए हैं। दरअसल, आइसीएमआर की इस नई रणनीति का मकसद प्रभावी रूप से कोरोना संक्रमण की रोकथाम करना और ऐसे सभी व्यक्तियों की विश्वसनीय जांच करना है जो कोराना जांच के मानदंडों के दायरे में आ रहे हैं।

पीपीई की उपलब्धता को लेकर भयभीत होने की जरूरत नहीं

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संकट से निपटने के लिए चिकित्सा कर्मियों के निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) सहित अन्य संसाधन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होने का भरोसा जताया है। मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पीपीई की उपलब्धता को लेकर भयभीत होने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) की कमी की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि भारत में 20 घरेलू कंपनियां इसका निर्माण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 1.7 करोड़ रुपये के पीपीई की खरीद के आर्डर दिए जा चुके हैं। साथ ही 49 हजार वेंटिलेटर भी खरीदे जा रहे हैं।

इस दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज मुरहेकर ने संक्रमण के मामले सामने आने की गति स्थिर होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में अब तक कोरोना संक्रमण की जांच के लिए 1.30 लाख परीक्षण किए जा चुके हैं। मुरहेकर ने कहा कि इनमें पिछले 24 घंटों में किए गए 13,143 परीक्षण भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षण में संक्रमित मामले सामने आने की दर तीन से पांच फीसद के स्तर पर बरकरार है। इसमें कोई इजाफा नहीं हुआ है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *