ट्रंप ने किया PM मोदी को फोन – मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जारी करने का अनुरोध, मलेरिया की दवा कोरोना में ज्यादा हो रही कारगर…

वाशिंगटन। कोरोना संकट में फंसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से टेलीफोन पर बातचीत की। डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वह अमेरिका द्वारा ऑर्डर की गई मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को जारी करे। गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने शनिवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी से बात की और अमेरिका के लिएहाइड्रॉक्सीकोलोरोक्वीन दवा जारी करने का अनुरोध किया।ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में कहा कि मैंने प्रधान मंत्री मोदी को फोन किया। वे बड़ी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा बनाते हैं। भारत इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। गौरतलब है कि भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 25 मार्च को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन कहा कि मानवीय आधार पर कुछ शिपमेंट को विशेष आधार पर अनुमति दी जा सकती है।

मलेरिया रोधी दवा के आ रहे अच्छे नतीजे: ट्रंप
इससे पहले दिए गए अपने एक बयान में ट्रंप ने कहा कि मलेरिया के इलाज में दशकों से इस्तेमाल की जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के कोरोना रोगियों के इलाज में अच्छे नतीजे आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम वायरस के इलाज और रोकथाम में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और दूसरे उपचारों के प्रभाव का निरंतर अध्ययन कर रहे हैं और अपने नतीजों के बारे में पूरी जानकारी देंगे।’ हालांकि ह्वाइट हाउस टास्क फोर्स के एक वरिष्ठ सदस्य ने अभी किसी नतीजे पर पहुंचने को लेकर आगाह किया है, क्योंकि इस संबंध में अभी परीक्षण चल रहे हैं।
अमेरिका में कोरोना का कहर
अमेरिका में कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना वायरस के 3 लाख से अधिक मामले और 8000 से अधिक मौतों की पुष्टि के बाद अमेरिका कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा प्रभावित देश के रूप में उभरा है, ऐसी बीमारी जिसका फिलहाल कोई इलाज नहीं है।
कोरोना से लड़ने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के निर्यात पर आखिर क्यों सरकार ने लगाई रोक?
कोरोना (Corona Virus) से लड़ने में मदद करने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात पर भारत सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार का कहना है कि इस दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाना जरुरी है।
वहीँ, इस दवा को लेकर (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनमे डॉक्टर, नर्से, सफाई कर्मचारी, हेल्पर आदि शामिल हैं, के इलाज के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन को इस्तेमाल की सिफारिश की। जिसके बाद, भारतीय दवा महानियंत्रक (DGCI) ने इमरजेंसी जैसे हालात होने पर प्रतिबंधित (Restricted) रूप से इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
क्या है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन
ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग दवा है। यह एक टेबलेट है जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि Arthritis) के उपचार में किया जाता है। लेकिन इसे कोरोना से बचाव में इस्तेमाल किये जाने की बात भी सामने आई है।ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में कहा कि मैंने प्रधान मंत्री मोदी को फोन किया। वे बड़ी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा बनाते हैं। भारत इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। गौरतलब है कि भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 25 मार्च को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन कहा कि मानवीय आधार पर कुछ शिपमेंट को विशेष आधार पर अनुमति दी जा सकती है।

क्यों लगाया गया प्रतिबंध
कोरोना को लेकर फैले खौंफ के बीच अचानक इस दवा को लेकर अफवाह उड़ी कि ये दवा कोरोना से बचा सकती है। जिसके बाद लोगों ने इस दवा को जमा करना शुरू कर दिया। परिणाम ये हुआ कि मेडिकल स्टोर से यह दवा गायब हो गई। वैसे, इस बात की शुरुआत तब हुई जब 19 मार्च को द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में लिखे एक आर्टिकल में इस दवा के फायदे और बीमारियों से लड़ने की क्षमता के बारे में बताया गया। इस आर्टिकल मे इस बता पर जोर दिया गया कि यह दवा कोरोनोवायरस के खिलाफ एंटी-वायरल तरीके से काम करती है।
इस दवा का खास असर SARS-CoV-2 पर पड़ता है। बता दें, यह वही वायरस है जो COVID-2 का कारण बनता है। ये भी बता दें कि इसी आर्टिकल के हवाले से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 21 मार्च वाला ट्विट किया था।
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का इस्तेमाल
वहीँ इस दवा के बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के साथ प्रोफिलैक्सिस का डोज लेने से SARS-CoV-2 संक्रमण और वायरल को बढ़ने से रोका जा सकता है। अमेरिका में प्रोफिलैक्सिस या एसएआरएस-सीओवी -2 संक्रमण के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के कई एक्सपेरीमेंट करने की योजना बनाई गई है जो जल्द शुरू हो जाएगी।
एक शोध यह भी कहता है कि सिर्फ हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन या अजिथ्रोमाइसिन को अकेले लेने से या दोनों को मिलाकर लेने से अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (Upper respiratory infection) में SARS-CoV-2 RNA कम होते नजर आते हैं।
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के साइड इफेक्ट
ऑनलाइन दवाइयों की जानकारी देने वाली अमरीका की मेडलाइनप्लस (Madeline Plus) के मुताबिक, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन का बिना किसी लक्षण के इस्तेमाल करना सही नहीं है। मेडलाइनप्लस का कहना है कि इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं। सामान्य साइड इफ़ेक्ट की बात करें तो इसके अंतर्गत सिरदर्द, चक्कर आना, भूख मर जाना, मतली, दस्त, पेट दर्द, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते होना शामिल हैं। इसके अलावा इस दवा को अधिक या इसकी ओवरडोज लेने से दौरे भी पड़ सकते हैं या मरीज बेहोश हो सकता है।