पूर्व सीएमएचओ डॉक्टर मधुलिका सिंह के खिलाफ सरकंडा थाना में एफ आई आर दर्ज

हाई कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में संज्ञान लेने से भ्रष्ट शासकीय सेवकों में हड़कंप
बिलासपुर। स्वास्थ्य विभाग में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच को लेकर हाईकोर्ट में लगी याचिका पर संज्ञान लेने के बाद तात्कालिक सीएचएमओ व स्वास्थ्य विभाग की कद्दावर अफसर मधुलिका सिंह को बिलासपुर सीएमएचओ कार्यालय में दवा खरीदी, भर्ती, सहित अन्य मामलों में ढाई करोड़ के घोटाले में लिप्त होना पाए जाने के बाद बुधवार को प्रार्थी पक्ष और एडवोकेट द्वारा सरकंडा थाना पहुंच आरोपित पूर्व सीएमएचओ डॉ मधुलिका सिंह के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई। मामले में सरकंडा थाना टी आई द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर शिकायत दर्ज कर ली गई है।
उक्त मामले में चीफ जस्टिस पीआर राम चंद्र मैनन वह जस्टिस पीपी साहू के युगल पीठ में सुनवाई हुई थी, कोर्ट ने इस मामले से संबंधित दस्तावेज पुलिस महकमे के आला अफसरों आईजी और एसपी को देने कहा गया था। हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है कि राज्य शासन भी इस मामले में दोषी के खिलाफ विभागीय जांच, वसूली व अन्य कार्रवाई करें। इसके अलावा याचिकाकर्ता को अपराधिक और सर्विस मेटर दायर करने की भी छूट हाईकोर्ट ने दी है।

यह है मामला
बिलासपुर सीएमएचओ कार्यालय की तत्कालीन सीएमएचओ मधुलिका सिंह के ऊपर 4 करोड़ 90 लाख का घोटाला करने का आरोप था, जिसमें 6.9.2019 को याचिकाकर्ता एस संतोष कुमार और दिलीप यादव द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी, जिसमें डॉक्टर मधुलिका सिंह पर दवा खरीदी, मितानिनों की नियुक्ति समेत बड़े पैमाने पर घोटाला किए जाने का आरोप था।
हाईकोर्ट में ढाई करोड़ का घोटाला हुआ सिद्ध
बिलासपुर सीएमएचओ कार्यालय में हुए घोटाले को लेकर दायर याचिका में योगेश्वर शर्मा ने याचिकाकर्ता के पक्ष से पैरवी की जिसमें तत्कालीन सीएमएचओ मधुलिका सिंह दवा खरीदने, मितानिनों की नियुक्ति करने सहित अन्य कामों में 4.90 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप था। जिसमें हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान ढाई करोड़ का घोटाला सिद्ध होना पाया। साथ ही कोर्ट में यह भी बताया गया कि वह कई सालों से यहां 2-2 पदों में पदस्थ रही है।
उल्लेखनीय है कि शासकीय विभागों में कथित अफसरों द्वारा धड़ल्ले से शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के नाम पर करोड़ों की लूट की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, सहित अन्य शासकीय विभागों में शासकीय राशि की बंदरबांट सुनियोजित तरीके से की जा रही है। शिष्टाचार का रूप ले चुके भ्रष्टाचार की जड़े शासकीय विभागों में काफी गहरी जम चुकी है, अनेकों शिकायतों के बाद भी वक्त पर कार्यवाही के नाम पर केवल कागजी घोड़े दौड़ते रहे हैं।
बहरहाल हाई कोर्ट द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में संज्ञान लेने से भ्रष्ट शासकीय सेवकों में हड़कंप मच गया है।