सरकार का एक और बड़ा झटका, ‘भारत पेट्रोलियम’ का भी होने जा रहा निजीकरण

दिल्ली।सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) अब पूरी तरह से निजी हाथों में चली जाएगी। सरकार बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर चुकी है। ऐसे में अब बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए संसद की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, एक वक्त ये कहा जा रहा था कि बीपीसीएल के निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी। निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है। इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिये पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था।

ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है। क्योंकि वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा रहा है।भारत पेट्रोलियम यूं तो देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है लेकिन सरकार इसको जल्द ही निजी हाथों में देने जा रही है।

केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि भारत पेट्रोलियम कॉर्रपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी 53 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी को वो बेच देगी. इसके लिए सरकार ने अपनी तरफ से सारी तैयारियां कर ली हैं. नवंबर के पहले हफ्ते में सरकार इसके लिए टेंडर निकालेगी, जिसके बाद कंपनी को निजी हाथों में देने का काम शुरु हो जाएगा.

भारत पेट्रोलियम की कुल हैसियत करीब 55 हजार करोड़ रुपये की है. सरकार की मंशा अपना 53 फीसदी हिस्सा बेचकर करीब 65 हजार करोड़ रुपये कमाने का है. देखना है कि सरकार इसको आसानी से निजी हाथों में देने में सफल होगी या फिर इसको लेकर भी बवाल मचेगा.

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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