छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में EOW की हिरासत में पूछताछ का सामना कर रहे विजय भाटिया पर जल्द ED भी कस सकती है शिकंजा…

रायपुर। भूपेश सरकार के समय हुए शराब घोटाला मामले में ACB/EOW की हिरासत में मौजूद विजय भाटिया को लेकर पुष्ट संकेत हैं कि, उनके खिलाफ जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय भी कार्यवाही कर सकती है।
ACB/EOW को इस आधार पर मिली रिमांड
ईओडब्लू/एसीबी ने कोर्ट से कहा है कि, विजय भाटिया आबकारी सिंडिकेट के सहयोगी हैं। विजय भाटिया ने घोटाले से प्राप्त अवैध धन को व्यवस्थित करने का षड्यंत्र किया और खुद के लिए भी बड़े पैमाने पर लाभ अर्जित किया है। विजय भाटिया उस ओम साई ब्रेवरेज में 51 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं जिसका उल्लेख आबकारी घोटाले की जांच में कई स्वरुप में है। कोर्ट ने ईओडब्लू को 6 जून तक की रिमांड पर विजय भाटिया को सौंपा है। ईओडब्लू / एसीबी के सूत्र ने संकेत दिए हैं कि, एजेंसी नियत अवधि के बाद और समय के लिए रिमांड देने का आग्रह करेगी।
ईडी फिर सक्रिय
आबकारी घोटाले की मूलतः जाँच प्रवर्तन निदेशालय ने की है, जो कि अब भी जारी है। ईडी की ओर से पुष्ट संकेत हैं कि, विजय भाटिया को जल्द ही ईडी की विधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। विजय भाटिया के विरुध्द ईडी की कार्यवाही ईओडब्लू की कार्यवाही (रिमांड के अंतिम दिन) के दौरान भी हो सकती है और न्यायिक हिरासत में जाने के बाद भी। यह गौरतलब है कि, ईडी ने विजय भाटिया के विरुध्द लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया था।
दोनों एजेंसियों में गजब का समन्वय
यदि अभिलेखों में मौजूद तथ्यों को क्रमबद्ध कर के देखें तो राज्य की एसीबी/ईओडब्लू और केंद्र की ईडी के बीच समन्वय साफ समझ आता है। विधि की समझ रखने वाले अनुभवी एडवोकेट्स का यह बात भी ग़ौरतलब है जिसमें विधिवेत्ता कह रहे हैं -“जबकि दो एजेंसियाँ एक ही मूल अपराध पर क्रियाशील हैं, भले उनकी प्रकृति पृथक हो, इनमें एक एजेंसी राज्य की हो और एक केंद्र की। पर समन्वय ग़ज़ब का है।” विदित हो कि, ईडी ने लुक आउट सर्कुलर जारी किया था, और ईओडब्लू के पास नॉन बेलेबल वारंट था। सूत्रों के अनुसार ईडी के लुक आउट नोटिस की वजह से विजय विदेश के लिए रखाना नहीं हो पाए और ईओडब्लू ने उन्हें हिरासत में ले लिया। जिस समन्वय की चर्चाएं हैं उसके केंद्र में यही मसला है। लुक आउट नोटिस प्रवर्तन निदेशालय का था, लेकिन पहली कार्यवाही ईओडब्लू कर गई है। क़ानूनी जानकार मानते हैं कि, यह सोचा समझा मसला लगता है कि, पहले कार्यवाही ईओडब्लू करे। आने वाले समय में जबकि कोर्ट में यह मामला विचारण के लिए पहुँचेगा तो मामले को एजेंसियाँ सहजता से क़ानूनी पेचीदगियों से भरपूर कर देंगी जो ज़ाहिर है आरोपी पक्ष के लिए समस्या ही बनेगा।
पूरी कार्यवाही विधि विरुद्ध- फैजल
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता फैजल रिजवी के पास इस पूरे मामले को लेकर अपने तर्क हैं। उन्होंने ईडी के लुक आउट और ईओडब्लू के नॉन बेलेबल वारंट पर ही सवाल उठाए हैं। एडवोकेट फैजल रिजवी ने कहा- “विजय भाटिया कभी फरार रहे ही नहीं हैं। सीडी केस में उनकी लगातार उनकी उपस्थिति कोर्ट में रही है। एजेंसियों को कोर्ट में यह बताना पड़ेगा कि, किन परिस्थितियों में उन्हें यह आवश्यकता महसूस हुई कि, लुक आउट या नॉन बेलेबल वारंट जारी कराना पड़ा। विजय भाटिया ना तो गैर हाजिर हो रहे थे और ना ही कहीं छुपे हुए थे।”