महतारी वंदन योजना में गड़बड़ी 1 बर्खास्त 2 सस्पेंड लेकिन अहम सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला…

महतारी वंदन की राशि सनी लियोन के नाम से हितग्राही बनकर खाते में राशि भेजने के मसले में प्रशासन ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बर्खास्त कर दिया है, जबकि परियोजना अधिकारी और आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ साथ सरकार ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को शो कॉज जारी कर जवाब तलब किया है। लेकिन इस पूरी कार्रवाई में यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि, आखिर पोर्टल का स्क्रीन शॉट किसने लिया और वायरल किसने किया। महतारी वंदन की राशि को अपने खाते से नियमित रुप से आहरण करने वाले वीरेंद्र जोशी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
सत्यापन में गंभीर चूक पर नपे
महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों की जांच और सत्यापन की प्रक्रिया अलग अलग मौके पर हुई। इसके लिए प्रथम सत्यापन अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और द्वितीय सत्यापन अधिकारी का दायित्व सुपरवाइजर का है। विभागीय अधिकारियों को इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है कि, कई बार की सत्यापन प्रक्रिया के बावजूद यह चूक कैसे हो गई। प्रथम सत्यापन अधिकारी के रुप में यह गंभीरतम चूक मानी गई और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वेदमती जोशी बर्खास्त हो गई, द्वितीय सत्यापन अधिकारी की भुमिका भी प्रश्नांकित है इसलिए आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक प्रभा नेताम और परियोजना अधिकारी ज्योति मथरानी को सस्पेंड किया गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सीधे तौर पर दोषी नहीं हैं लेकिन चूंकि प्रमुख हैं इसलिए शो कॉज का कागज उनके नाम का भी जारी हो गया है।
प्रारंभिक तौर पर कुछ यूँ हुआ मामला
प्रारंभिक तौर पर जो मसला सामने आया है उससे यह संकेत मिलते हैं कि आंगनवाड़ी केन्द्र तालूर में वीरेन्द्र कुमार जोशी के द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्र तालूर के कार्यकर्ता के माध्यम से सन्नी लिओनी के नाम से आवेदन किया गया, तथा उस आवेदन में अन्य जानकारी के रूप में अपना आधार नंबर तथा अपने बैंक खाते की जानकारी डाली गयी। प्रत्येक आवेदन के परीक्षण एवं सत्यापन का दायित्व ग्राम स्तर पर बनायी गयी समिति, जिसमें ग्राम प्रभारी/वार्ड प्रभारी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा किया जाना था। इसके उपरांत पोर्टल में अंकित दस्तावेज़ो का परीक्षण प्रथम सत्यापन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा तथा द्वितीय सत्यापन पर्यवेक्षक के द्वारा किया जाना था तथा परियोजना अधिकारी के द्वारा अनुमोदित किया जाना था। इस प्रकरण में ऐसा प्रतीत होता है कि, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता वेदमति जोशी, जो की वीरेन्द्र कुमार जोशी की पड़ोसी भी है, के द्वारा बिना तथ्यों की जाँच परख किए ऑनलाईन पोर्टल पर वीरेन्द्र कुमार जोशी के द्वारा सन्नी लिओनी के नाम से किए गए आवेदन को सत्यापित कर दिया गया। इसी प्रकार पर्यवेक्षक के द्वारा भी बिना परीक्षण किए हुए इस आवेदन का सत्यापन कर दिया गया, जिसके कारण इस फर्जी नाम वाले हितग्राही को उनके द्वारा दिए गए आधार नबंर से लिंक स्टेट बैंक के खाते में डीबीटी के रूप में राशि का भुगतान हुआ है।
अहम सवाल के जवाब की तलाश
इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम सवाल का जवाब अनुत्तरित है। पूरा तंत्र उसी जवाब की तलाश में है। मसला गंभीर है भी क्योंकि जो स्क्रीन शॉट वायरल हुआ उस तक पहुँच सामान्य तौर पर सबकी नहीं हो सकती। यह आंगनबाडी के पोर्टल का स्क्रीन शॉट है। इसमें हितग्राही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या सुपरवाइजर की पहुँच होती है। यह पोर्टल केवल यह बताता है कि, हितग्राही की राशि कब जारी हुई और कब खाते में जमा हुई। जाहिर है इस पर किसी और की सहजता से मौजूदगी नहीं हो सकती। वीरेंद्र जोशी ने तो खैर आवेदन किए जाने से ही इंकार कर दिया है। लेकिन नियमित आहरण ने उसे जेल दाखिल करा दिया। अब वो खुद ही स्क्रीन शॉट लेकर वायरल करेगा इसकी संभावना नहीं बनती। पुलिस का ध्यान अब एक एंगल पर गया है। यह मसला वह है कि, आंगनबाडी कार्यकर्ता ऑनलाइन वर्क के लिए सहज नहीं हो पाती क्योंकि कंप्यूटर वर्क होता है। ऐसे में कई बार निजी तौर पर सहायक उपयोग किए जाते हैं। पुलिस अब इस एंगल से स्क्रीन शॉट लिए जाने और वायरल किए जाने की गुत्थी की कोशिश में है।