सायबर अपराध की सारी शिकायतें नहीं पहुंचती एफआईआर तक…

रायगढ़।
आजकल कोई भी पेमेंट हो, शॉपिंग हो, किसी को राशि भेजनी हो, एकाउंट स्टेटमेंट देखना हो, बिजली बिल, फीस चुकानी हो, सारे काम मोबाइल से हो जाते हैं। डिजिटाइजेशन का लाभ यह है कि छोटे-छोटे कामों के लिए बैंक नहीं जाना पड़ता। आपका मोबाइल ही आपका मिनी बैंक बन चुका है। इसका फायदा हुआ है तो नुकसान भी। सायबर अपराधियों के लिए पहले सीमित अवसर थे लेकिन अब उनके पास उतने ही तरीके भी विकसित हो चुके हैं। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के अलावा कोई उपाय ही नहीं है। पुलिस तक जब मामला पहुंचता है तब तक अपराधी एकाउंट खाली कर चुका होता है। आहरित राशि को वापस लाने के लिए आरोपी का पकड़ा जाना जरूरी है।
लेकिन ऐसा तब होगा जब सारे मामलों में एफआईआर दर्ज होगी। दिसंबर 2023 से दिसंबर 2024 के बीच रायगढ़ जिले में करीब 1000 शिकायतें दर्ज हुई हैं जिसमें से करीब 100 में ही अपराध दर्ज हुए हैं। करोड़ों की ठगी के बदले चंद लाख रुपए ही बरामद हो सके हैं। दरअसल राशि आहरण करते ही रकम को इधर-उधर खर्च कर दिया जाता है। प्रदेश में दस हजार से अधिक शिकायतें हुई हैैं। रायगढ़ जिले में उन्हीं मामलों में अपराध दर्ज होता है जिसमें आरोपी को पकडऩे या कुछ रिकवरी की गुंजाइश बनती है। बाकी आवेदन फाइलों में ही बंद रह जाते हैं। सायबर क्राइम ब्रांच में संसाधनों की कमी भी एक वजह है। जिस तरह से सायबर अपराध बढ़ हैं, उस हिसाब से टीम नहीं बढ़ाई जा रही है। तकनीक के मामले में भी पुलिस पीछे है।
रायपुर से भी ज्यादा मामले रायगढ़ में
प्रदेश में सायबर क्राइम के सबसे ज्यादा मामले दुर्ग में सामने आए थे। इसके बाद कोरबा और रायगढ़ का नाम है। इन जिलों में लोगों को निशाना बनाना ज्यादा आसान है। प्रदेश में करीब दस हजार मामले सामने आ चुके हैं। इतने अपराध दर्ज नहीं हुए हैं। जांच के नाम पर आवेदन लंबित हैं।