नोटबंदी के 6 साल बाद भी जाली नोटों का चलन बेलगाम, सबसे ज़्यादा जाली नोट 500 रुपए के….

साल 2016 में नोटबंदी का फ़ैसला लेते समय केंद्र सरकार ने कहा था कि इसके कई फायदों में से एक नकली नोटों के इस्तेमाल पर लगाम लगाना होगा. लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट पर नज़र डालें तो ये साफ़ है कि भारत में नकली नोटों के चलन में बढ़ोतरी ही हुई है.
वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने वर्ष 2020-21 की तुलना में 500 रुपये मूल्य के 101.9 प्रतिशत अधिक नकली नोट और 2,000 रुपये मूल्य के 54.16 प्रतिशत अधिक नकली नोटों का पता लगाया.
इसी तरह दस रुपए के नकली नोटों में 16.4 फ़ीसदी, 20 रुपए के नकली नोटों में 16.5 फ़ीसदी और 200 रुपए के नकली नोटों में 11.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. केवल 50 और सौ रुपए के नकली नोटों में क्रमशः 28.7 फ़ीसदी और 16.7 फ़ीसदी की गिरावट पाई गई.आरबीआई के मुताबिक़ 2021-22 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल नकली भारतीय मुद्रा नोटों (FICN) में से 6.9 प्रतिशत रिजर्व बैंक में और 93.1 प्रतिशत अन्य बैंकों में पाए गए.
ग़ौरतलब है कि आरबीआई की रिपोर्ट में जिन नकली नोटों की बात की गई है वो केवल बैंकों में पकड़े गए हैं और इसमें पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए जाली नोट शामिल नहीं हैं.
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2020 के दौरान 92 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के कुल 8,34,947 नकली नोट ज़ब्त किए गए. वर्ष 2019 में पकड़े गए 25 करोड़ रुपए मूल्य के 2,87,404 नकली नोटों की तुलना में ये 190.5 फ़ीसदी ज़्यादा थे.

क्यों बढ़ रहा है नकली नोटों का चलन?
प्रोफ़ेसर अरुण कुमार अर्थशास्त्री हैं और तीन दशकों तक जेएनयू में अर्थशास्त्र पढ़ा चुके हैं. वे ‘द ब्लैक इकोनॉमी इन इंडिया’ नाम की क़िताब के लेखक भी हैं.
वे कहते हैं, “इसमें (जाली नोटों के कारोबार में) मुनाफ़ा बहुत है. जैसे 500 रुपए के नोट को छापने में आरबीआई के ढाई-तीन रुपए लगते हैं. जो नकली नोट बना रहे हैं अगर वो एक जाली नोट बनाने में 10 रुपए भी खर्च करते हैं तो भी उन्हें 490 रुपए का फायदा है.”
प्रोफ़ेसर अरुण कुमार के मुताबिक़ नकली नोटों के प्रचलन की एक बड़ी वजह आसानी से उपलब्ध टेक्नोलॉजी भी है.
वे कहते हैं, “नकली नोटों पर लगाम लगाना मुश्किल है क्योंकि आज जो टेक्नोलॉजी उपलब्ध है उससे नकली नोट बनाना संभव तो है ही. ये जैसे पहले हो रहा था वैसे ही अब भी होगा. नोटबंदी से नकली नोटों की जालसाज़ी नहीं रुक सकती. दूसरी बात ये है है कि नकली नोट बनाने में भारत के विरोधी स्टेट एक्टर्स शामिल हैं. और उनके पास भी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है.”
नोटबंदी के दौरान जाली नोटों पर लगाम लगाने के सरकार के दावे पर प्रोफ़ेसर अरुण कुमार कहते हैं कि नोटबंदी से इसका कोई सम्बन्ध नहीं था. वो कहते हैं, “ये एक ग़लत धारणा थी कि हम जाली नोटों को रोक देंगे.”
क्या कहती है सरकार?
सरकार का कहना है कि केंद्र और राज्य की ख़ुफ़िया और सुरक्षा एजेंसियां जाली नोटों के स्रोत, उसके बाज़ार में प्रवेश, उसके चलन, उसे छापने के काम में लगे अपराधियों सहित नकली मुद्रा के संचलन में शामिल अवैध नेटवर्क की पूरी श्रृंखला पर कड़ी नजर रखती हैं और क़ानून के अनुसार उचित कार्रवाई करती हैं.
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 489 (ए-ई) के तहत करेंसी नोटों की जालसाज़ी अपराध है. साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली नकली भारतीय कागज़ी मुद्रा, सिक्के या किसी अन्य सामग्री के उत्पादन, तस्करी या संचलन को ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत एक आतंकवादी कृत्य बनाया गया है.
देश में नकली नोटों के प्रचलन की समस्या का मुक़ाबला करने के लिए राज्यों और केंद्र की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा FICN समन्वय समूह (FCORD) का गठन किया गया है. साथ ही टेरर फंडिंग और नकली मुद्रा मामलों की केंद्रित जांच करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में एक टेरर फंडिंग एंड फ़ेक करेंसी सेल (टीएफएफसी) को भी स्थापित किया गया है.
केंद्र सरकार का ये भी कहना है कि जाली नोटों के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए निगरानी की नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इस पर चौबीसों घंटे निगरानी के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी के लिए चौकियों की स्थापना, सीमा पर बाड़ लगाने और गहन गश्त के द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा को मज़बूत करने का काम किया गया है.
नकली नोटों की तस्करी और प्रचलन को रोकने के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गए हैं. साथ ही नकली मुद्रा से संबंधित मामलों की पहचान, जांच और प्रभावी अभियोजन के क्षेत्रों में अपनी क्षमता विकसित करने के लिए भारत बांग्लादेश और नेपाल पुलिस के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहा है.