SC/ST समुदाय से होने का मतलब यह नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाएः सुप्रीम कोर्ट

SC/ST समुदाय से होने का मतलब यह नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाएः सुप्रीम कोर्ट

एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी कहा उच्च जाति के व्यक्ति के भी कुछ अधिकार हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा जाति के कारण SC/ST समुदाय के व्यक्ति की जान- बूझकर प्रताड़ना नहीं हो तो SC/ST ऐक्ट लागू नहीं होगा सुप्रीमकोर्ट ने कहा शिकायकर्ता के SC/ST समुदाय से होने का मतलब यह नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए उच्च जाति वर्ग के भी अधिकार है किसी भी सूरत में एक्ट का दुरपयोग नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित किसी व्यक्ति के खिलाफ घर की चारदीवारी के अंदर किसी गवाह की अनुपस्थिति – में की गई अपमानजनक टिप्पणी अपराध नहीं है।

इसके साथ ही न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ एससी-एसटी कानून के तहत लगाए गए आरोपों को रद्द कर दिया, जिसने घर के अंदर एक महिला को कथित तौर पर गाली दी थी। – न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति का अपमान या धमकी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कानून के तहत अपराध नहीं होगा। जब तक कि इस तरह का अपमान या धमकी पीड़ित के अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित होने के कारण नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि एससी व एसटी कानून के तहत अपराध तब माना जाएगा जब समाज के कमजोर वर्ग के सदस्य को किसी स्थान पर लोगों के सामने अभद्रता, अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़े। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, तथ्यों के मद्देनजर हम पाते हैं कि अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 की धारा 3 (1) (आर) के तहत अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप नहीं बनते हैं। इसलिए आरोपपत्र को रद्द किया जाता है। इसके साथ ही न्यायालय ने अपील का निपटारा कर दिया।

Sunil Agrawal

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