इस सॉफ्टवेयर से हुई व्हाट्सअप की जासूसी, मध्यप्रदेश हनीट्रैप मामले में भी हुआ था इस्तेमाल…

सोशल इंस्टैंट मल्टीमीडिया मैसेजिंग एप व्हाट्सएप की जासूसी को लेकर बड़ा बवाल हुआ है। व्हाट्सएप ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि इसी साल मई में भारती के कुछ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप चैट की जासूसी हुई है। व्हाट्सएप ने इसकी जानकारी अमेरिकी कोर्ट में दी है। मुकदमे में दी गई जानकारी के मुताबिक एक इजरायली फर्म ने एक स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) के जरिए भारतीय यूजर्स की जासूसी की है।
भारत सरकार ने कंपनी से मांगा जवाब
वहीं भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में व्हाट्सएप से जानकारी मांगी है। अभी तक सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों के व्हाट्सएप की हैकिंग हुई है या जासूसी हुई है उनमें मुख्य रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और पत्रकार हैं, जो आदिवासियों और दलितों के लिए अदालत में सरकार से लड़ रहे थे या उनकी बात कर रहे थे।कौन-कौन लोग हुए शिकारअभी तक सामने आईं रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी जासूसी हुई है। यह बात उन्होंने व्हाट्सएप के हवाले से कही है। जिन लोगों की जासूसी हुई है उनमें बेला भाटिया, भीमा कोरेगांव केस में वकील निहाल सिंह राठौड़, जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा, दलित एक्टिविस्ट डिग्री प्रसाद चौहान, आनंद तेलतुम्बडे, शुभ्रांशु चौधरी, दिल्ली के आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिब्बल और राजीव शर्मा के नाम भी शामिल हैं।
MP हनीट्रैप में भी श्वेता ने पिगासस के जरिए ही अफसर-नेताओं के फोन टैप करवाए
सूत्रों से मिली जानकारी से यह बात सामने आयी है जिस पिगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग व्हाट्सएप की जासूसी करने में हुआ है. उसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल मध्य प्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड में किया. रिपोर्ट के मुताबिक बंगलूरू की एक कंपनी नेताओं और अफसर के फोन टैपिंग के लिए पिगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है. यह सॉफ्टवेयर फोन में छिपकर कॉल रिकॉर्डिंग, वॉट्सएप चैटिंग, एसएमएस के साथ अन्य चीजों की सर्विलांस आसानी से हो रही है।