पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके के विरूद्व मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, पीड़ित ने राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री से की थी शिकायत…

खरसिया। खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके के विरूद्व शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना किये जाने पर आपराधिक मामला दर्ज करने तथा विभागीय कार्यवाही किये जाने की शिकायत अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल से की गयी थी, शिकायत की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक को भी देकर भ्रष्ट अधिकारी पर कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग की गयी थी। इसी क्रम में छ़त्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुये प्रकरण दर्ज कर रायगढ़ कलेक्टर से प्रतिवेदन मांगा गया है।
गौरतलब है कि खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके पर नगर के पत्रकार ने दो लाख रूपये की रिश्वत मांगने ओर रिश्वत न देने पर उसके प्रकरण को दुर्भावनापूर्ण कूटरचना कर खारिज करने तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुये भ्रष्ट एसड़ीएम गिरीश रामटेके के विरूद्व शिकायत दर्ज करायी गयी थी। शिकायतकर्ता ने प्रकरण के दस्तावेजों सहित शिकायती पत्र की प्रतिलिपि सूबे के मुखिया भूपेश बघेल, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, क्षेत्रीय विधायक एवं उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, रायगढ़ जिले के प्रभारी मंत्री रविन्द्र चौबे, राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग, छ़त्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग, जिला कलेक्टर रायगढ़, पुलिस अधीक्षक सहित खरसिया थाना तथा चौकी प्रभारी, पुलिस चौंकी खरसिया को देकर खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके द्वारा रिश्वत की मांग करने तथा मांग पूरी न करने पर आवेदक के प्रकरण को खारिज कर आवेदक को मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने, रिश्वत की मांग किये जाने, पद की गरिमा के विरूद्व कार्य कर, पद तथा अधिकारों का दुरूपयोग कर शासकीय दस्तावेजों में छ़ेड़छ़ाड़ कर भ्रष्टाचार किये जाने पर खरसिया के पूर्व एसड़ीएम सहित भ्रष्टाचार एवं कूटरचना में सम्मिलित सभी आरोपियों पर आपराधिक मामला दर्ज किये जाने की मांग की गयी थी, जिस पर संज्ञान लेते हुये छ़त्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग ने दिनांक 14/12/2021 को प्रकरण दर्ज कर रायगढ़ कलेक्टर से 20/01/2022 तक प्रतिवेदन मांगा है।

विदित हो कि इससे पूर्व भी गिरीश रामटेके के विरूद्व शिकायतें हो चुकी है, किंतु कोई ठोस कार्यवाही न होने पर उक्त अधिकारी के हौंसलें इतने बुलंद है कि उसके द्वारा इस प्रकार का आपराधिक कृत्य कर शासन की योजनाओं का लाभ जनमानस को मिलने से वंचित किया जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में गिरीश रामटेके और उसके सहयोगी आरोपियों पर कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या फिर इस मामले को भी ठंड़े बस्ते में ड़ाल दिया जायेगा।