अपने बच्चों पर नजर रखिए, कहीं वे ऑनलाइन गेम या जुआ तो नहीं खेल रहे…

यदि अपने बच्चों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन पर नजर रखिए, कहीं वे ऑनलाइन गेम या जुआ तो नहीं खेल रहे हैं। एक समय वह भी था जब बच्चों को घर से बाहर खेलने जाने के लिए मना किया जाता था। दिनभर घर से बाहर रहकर खेलने के लिए उन्हें डांट भी पड़ती थी पर अब समय बदल गया है।
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे खेलने के लिए घर से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन वीडियो गेम और स्मार्टफोन हैं। वीडियो गेम खेलने वाले स्मार्टफोन 7-8 हजार रुपए तक आसानी से मिल रहे हैं। वहीं गूगल प्ले-स्टोर पर मुफ्त मोबाइल गेम भी मिल जाते हैं। दरअसल, ऑनलाइन वीडियो गेमिंग का बाजार बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ इसके दुष्परिणाम भी बढ़ रहे हैं। कई वीडियो गेम्स बच्चों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो रहे हैं। आइए जानते हैं गेम्स के बारे में जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं, उन्हें हिंसक बना रहे हैं और यहां तक की जान देने के लिए भी उकसा रहे हैं।
खतरनाक है ये ऑनलाइन गेम्स
फ्री फायर-फ्री फायर ने मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के सिविल लाइन थाना सागर रोड निवासी डॉ. बुंदेला के पास दीपक पैथोलॉजी के संचालक विवेक पांडेय के 13 वर्षीय पुत्र ने 40 हजार की रकम हारने से घर मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कृष्णा उर्फ राजा ने हिंदी और इंग्लिश में सुसाइड नोट लिखा था। बताया था वह डिप्रेशन में था। यह घटना लोगों के लिए एक सबक है। ऐसी ही कई घटनाएं छत्तीसगढ़ में हुई जिसमें बच्चे गेम में फंसकर ठगी के शिकार भी हुए।
ब्लू व्हेल : ब्लू व्हेल गेम में टास्क पूरा करने के लिए कई बच्चों ने आत्महत्या की। देश में 2017 में इसकी वजह से 100 बच्चों ने मौत को गले लगा लिया। यह गेम गूगल प्ले-स्टोर या एपल के एप स्टोर पर नहीं था, बल्कि इसे इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिंक के जरिए डाउनलोड कराया जा रहा।
पब्जी मोबाइल : प्लेयर्स अननोन बैटल ग्राउंड के नाम से मशहूर इस गेम के बारे में डॉक्टर राजीव क्षेत्रपाल का कहना है कि यह गेम युवाओं को मानसिक रूप से बीमार बना रहा है। गेम को खेलने के बाद बच्चों में हिंसक प्रवृति भी पनप रही है। मई में मध्यप्रदेश में पबजी गेम में हार जाने के बाद एक 16 साल के बच्चे की मौत हार्ट अटैक से हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि वह पिछले 6 घंटे से पबजी खेल रहा था।
ऐसे पहचानें बच्चों की लत
- यदि बच्चे की दिनचर्या में बदलाव नजर आए। उसका पूरा कामकाज पबजी के इर्द-गिर्द ही दिखाई देने लगे तो समझिए वह इस खेल की गिरफ्त में जा रहा है।
- उसका स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल हो सकता है। पबजी खेलने से रोकने पर वह हिंसक हो उठता है या गाली-गलौज भी कर सकता है।
- इस खेल की लत में आया बच्चा आमतौर पर गुमसुम दिखाई देता है। उसकी याददाश्त में कमी आना, बात बिगड़ने के संकेत हैं।
पैरेंट्स सामान्य मान रहे हैं, ताे उनकी भूल है
मनोचिकित्सक डॉ राजेश शुक्ला के अनुसार बच्चों के मां-बाप इस आदत पर लगाम लगाने में खुद को असहाय पा रहे हैं। यह सिर्फ खर्च की बात नहीं है, बल्कि बच्चों के दिमाग पर जो इस खेल का असर हो रहा है, वह आगे जाकर जानलेवा हो सकता है। यदि पैरेंट्स इसे सामान्य मान रहे हैं, तो ये उनकी भूल है।