सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का समय निर्धारण क्यों, मरीजों का बड़ा सवाल…

सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का समय निर्धारण क्यों, मरीजों का बड़ा सवाल…

रायपुर। लोग समय देखकर बीमार नही होते, परेशानी होने पर ही इलाज कराने पहुंचते है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का समय निर्धारण क्यों किया जाता है. मरीजों को इस निश्चित समय पर क्यों बुलाते हैं. यह एक गंभीर सवाल है. सरकारी अस्पताल से वापस लौटने वाले लोग कहते हैं कि 12 बजे के बाद ओपीडी बंद हो जाती है. हॉस्पिटल जाने के बाद कहा जाता है कि कल एक बजे के पहले आना. आखिर दिन भर ओपीडी क्यों नहीं होती. यह हाल राज्य के सभी सरकारी हॉस्पिटलों का है. दोपहर के बाद सीनियर डॉक्टर नहीं मिलते.

मरीजों की गुहा

जिला अस्पताल से भटक कर निराश वापस लौटने वाली सड्डू निवासी लक्ष्मी साहू ने कहा कि भगवान भरोसे अस्पताल चल रहा है. दोपहर पहुंचे तो डॉक्टर नहीं होते, शाम में तो कोई नहीं रहता. ये कैसी व्यवस्था है. बस दिखाने का बड़ा अस्पताल है।

वहीं टाटीबंध से इलाज के लिए मेकाहारा पहुंचे जगू यादव ने कहा कि दोपहर के बाद अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं होते. कोई भी रोग हो एक डॉक्टर के पास भेज देते हैं. स्कीन समस्या दिखाने आया था लेकिन कल आने के लिए कहा गया है. मैं तो ठीक कल भी आ जाउंगा लेकिन बीमार लोगों के साथ यही किया जाता है ये खतरनाक है।

ओपीडी नहीं शाम में एमरजेंसी सेवा

जिला अस्पताल पंडरी के अधीक्षक आरके गुप्ता ने कहा कि हमारे यहां सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक ओपीडी होता है. सभी डॉक्टर मौजूद रहते हैं. पहले सुबह आठ बजे से दोपहर 2 बजे का होता था जिसे शासन के आदेशानुसार सुबह 9 बजे से 1 बजे किया गया है.

शासन के आदेश का पालन

मेकाहारा के अधीक्षक डॉ विनीत जैन ने कहा कि सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक समय निर्धारित है. ओपीडी में लगभग 14 मरीज पहुंच रहे हैं. शाम को कोई ओपीडी सेवा नहीं होता है. एमरजेंसी सेवा चालू रहता है. शासन का आदेश है क्या कर सकते हैं।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य के जानकार

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में लगभग 90 प्रतिशत डॉक्टर बहुत लेट पहुंचते हैं और एक दो घंटा जल्दी निकल जाते हैं. ओपीडी़ का समय शासन द्वारा निर्धारित होता है. इसके समय बढ़ाने की जरूरत है, नहीं तो गरीब मरीज भी प्रायवेट हॉस्पिटल में मोटी रकम देकर इलाज कराने को मजबूर होंगे. ऐसे में घर का जमीन बेचते हैं. घर के सामान जेवर बेचते हैं. जमीन जायदाद नहीं होने पर कर्ज में दब जाते हैं, ये राज्य के लिए गंभीर समस्या है और इसमें गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *