5 दिन पहले ही मिल गई थी नक्सलियों की तैयारियों की जानकारी, कार्रवाई में देरी हुई और शहीद हो गए 22 जांबाज….

5 दिन पहले ही मिल गई थी नक्सलियों की तैयारियों की जानकारी, कार्रवाई में देरी हुई और शहीद हो गए 22 जांबाज….

सुकमा इनकाउंटर में 22 जवानों की मौत से पूरे देश में दुख के साथ गुस्से का माहौल है। तमाम तैयारी और संसाधनों के बावजूद नक्सली एक बार फिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे गए। सवाल यह भी है कि सुरक्षा एजेंसियों को 5 दिन पहले ही नक्सलियों की तैयारियों के बारे में इनपुट मिल गया था, लेकिन कार्रवाई में देरी हो गई।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 22 जवानों की मौत के बाद सरकार की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की भारी तादाद में मौजूदगी के बावजूद नक्सली इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे गए, यह हैरान करने वाला है। आश्चर्य यह है कि 25 मार्च के आसपास से ही इस क्षेत्र में नक्सलियों का जमावड़ा हो रहा था और पांच दिन पहले ही सरकार को यह इनपुट मिल गया था कि नक्सली किसी बड़े वारदात की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन को-ऑर्डिनेशन की कमी के चलते उनसे मुकाबले में चूक हो गई।

तर्रेम के जिस इलाके में यह मुठभेड़ हुई, वह नक्सली कमांडर हिडमा का गढ़ है। तर्रेम तक पहुंचना भी बेहद मुश्किल है। सुरक्षाबलों ने यहां कैंप खोलकर नक्सलियों को खुली चुनौती दी थी। इतना ही नहीं, तर्रेम से आगे सिलेगर में भी कैंप खोलने की तैयारी है। अपने गढ़ में सुरक्षाबलों की मौजूदगी से बौखलाए नक्सली उन्हें सबक सिखाने की तैयारी पहले से कर रहे थे।

23 मार्च की घटना से नहीं लिया सबक
सुरक्षाबलों की तमाम तैयारियों के बावजूद नक्सली शहीद दिवस के मौके पर बड़ी कार्रवाई को जरूर अंजाम देते हैं। इस साल भी नारायणपुर में जवानों से भरी बस को आईईडी से उड़ाकर उन्होंने अपनी तैयारियों के संकेत दे दिए थे। इसके दो दिन बाद 25 मार्च को तर्रेम कैंप के आसपास बड़ी संख्या में नक्सलियों के जमावड़े की खबर मिली थी। सुरक्षाबलों के दबाव से बौखलाए नक्सलियों ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। संयुक्त मिलिट्री कमांड का गठन कर इन दिनों टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव की रणनीति पर काम कर रहे हैं। नारायणपुर में आईईडी ब्लास्ट भी इसी का उदाहरण था, लेकिन सरकार इससे नहीं चेती।


रायपुर और दिल्ली से होते हैं फैसले
शनिवार को हुई मुठभेड़ से पांच दिन पहले सुरक्षाबलों को नक्सलियों की बड़ी तैयारी के बारे में इनपुट मिला था। इस पर तत्काल कार्रवाई किए जाने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि नक्सलियों के खिलाफ रणनीति के सारे फैसले दिल्ली और रायपुर में लिए जाते हैं। इससे नक्सलियों को मौका मिल गया और पांच दिन बाद जब जवान वहां पहुंचे तो वे उनके जाल में फंस गए।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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