26 रुपये का पेट्रोल कैसे बिकता है 82 रुपये में, समझिए महंगे पेट्रोल के पीछे की कहानी

26 रुपये का पेट्रोल कैसे बिकता है 82 रुपये में, समझिए महंगे पेट्रोल के पीछे की कहानी

दिल्ली। क्या आपको मालूम है कि पेट्रोल और डीजल सरकार को सिर्फ 26 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिलता है, लेकिन पेट्रोल पंप पर पहुंचते पहुंचते ये कैसे 80 रुपये के पार चला जाता है. मतलब हम और आप पेट्रोल के लिए 54 रुपये ज्यादा देते हैं जो करीब 200 परसेंट है. 
भारत का 85 परसेंट क्रूड ऑयल इंपोर्ट होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) इंपोर्ट करती हैं. पहले समझते हैं कि ये OMCs क्या होती हैं. दरअसल इनका काम होता है क्रूड ऑयल को दूसरे देशों से खरीदना, फिर उसे किसी रिफाइनिंग कंपनी से रिफाइन करवाकर उसमें से पेट्रोल, डीजल और केरोसीन निकालना और फिर उसे किसी डीलर को बेचना. भारत में IOC, BPCL और HPCL ये तीन सबसे बड़ी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हैं जिनका मार्केट शेयर 90 परसेंट से भी ज्यादा है।

पेट्रोल की कीमतें कैसे तय होती हैं.

दिल्ली में आज पेट्रोल का रेट 83.71 रुपये प्रति लीटर है. सरकारी तेल कंपनी IOC की वेबसाइट के मुताबिक आज की तारीख में पेट्रोल का बेस प्राइस 26.34 रुपये/लीटर है. इसमें मालभाड़े का खर्चा 0.37 रुपये प्रति लीटर जोड़ा जाता है तो इसका रेट पहुंचता है 26.71 रुपये प्रति लीटर, इसी भाव पर तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल को डीलर्स को बेचती हैं।

डीलर को बेचे गए पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी और VAT लगाया जाता है. केंद्र सरकार इस पर 32.98 रुपये रुपये प्रति लीटर की दर से एक्साइज ड्यूटी वसूलती है और राज्य सरकार 19 रुपये प्रति लीटर VAT लगाती है. डीलर भी अपना कमीशन लेता है, जो कि 3.65 रुपये प्रति लीटर है. इस तरह से पेट्रोल का रेट पहुंच जाता है 82 रुपये के पार. VAT हर राज्य अपने अपने हिसाब से अलग अलग लगाता है इसलिए हर राज्य में रेट अलग अलग होते हैं।

26 का पेट्रोल 82 रुपये में कैसे ?

बेस प्राइस                         26.34 
माल भाड़ा                         0.37 
डीलर को बेचा                   26.71
एक्साइज ड्यूटी                  32.98
डीलर कमीशन                  3.65 
वैट                                 19.00
रीटेल प्राइस                    82.34
(सौ: IOC: 1 दिसंबर 2020)

यानि 82 रुपये में 51.98 रुपये या करीब करीब 52 रुपये केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स वसूलती हैं. पेट्रोल और डीजल अब मार्केट के हवाले है, यानि सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है. मजेदार बात ये है कि कई मौकों पर जब अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भाव काफी गिरे हुए थे तब भी सरकारों ने एक्साइज ड्यूटी और VAT में बढ़ोतरी की थी।

इसी तरह एक नजर डीजल के गणित पर भी डाल लेते हैं. डीजल का बेस प्राइस है 27 रुपये यानि जिस भाव पर OMC कंपनी ने तेल इंपोर्ट किया. इसके बाद माल भाड़ा 0.34 रुपये प्रति लीटर जोड़कर इसे डीलर को 27.42 रुपये के भाव पर बेचा. केंद्र सरकार ने इस पर  31.83 रुपये एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार ने 10.64 रुपये वैट लगाया. जिससे रीटेल प्राइस पहुंच गया 72 रुपये के पार. यानि 27 रुपये के डीजल पर सरकारें करीब 45 रुपये टैक्स वसूलती हैं।

27 का पेट्रोल 72 रुपये में कैसे ?

बेस प्राइस                         27.08 
माल भाड़ा                         0.34
डीलर को बेचा                   27.42
एक्साइज ड्यूटी                  31.83
डीलर कमीशन                  2.53 
वैट                                 10.64 
रीटेल प्राइस                    72.40
(सौ: IOC: 1 दिसंबर 2020)

लॉकडाउन के दौरान 1 अप्रैल तक पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 22.98 रुपये हुआ करती थी, जो कि आज 32.98 रुपये है. जबकि डीजल पर एक्साइड ड्यूटी 18.83 रुपये थी जो आज 31.83 रुपये है. यानि लॉकडाउन के दौरान भी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की. जबकि कोरोना संकट की अवधि के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई, लेकिन इसका फायदा आम आदमी को नहीं मिला।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *