बीमा कंपनी ने नहीं दिया बाइक का क्लेम दस्तावेज जमा नहीं करने का बहाना बनाया, फोरम ने सुनाया यह फैसला…

दुर्ग।
यह था मामला
खुर्सीपार भिलाई निवासी अधिवक्ता हेमंत कुमार मिश्रा की मोटरसाइकिल दिनांक 25 फरवरी 2017 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसके बाद बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर क्लेम रजिस्टर्ड कराने के बाद बीमा कंपनी के सर्वेयर रमेश कुमार पटेल ने सर्विस सेंटर में जाकर गाड़ी चेक की और परिवादी से गाड़ी के कागजात, इंश्योरेंस पेपर, आरसी बुक, ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी लेते हुए वाहन की फोटोग्राफी की और यह आश्वासन दिया कि जल्दी ही बीमा क्लेम मिल जाएगा परंतु परिवादी को बीमा क्लेम प्राप्त नहीं हुआ। सर्वेयर को फोन करने पर उसने परिवादी का फोन नहीं उठाया। बीमा कंपनी और सर्वेयर परिवादी को बार-बार घुमाते हुए दस्तावेजों की मांग करते रहे जबकि परिवादी ने पहले ही दस्तावेज दे दिए थे साथ ही सर्वेयर को व्हाट्सएप के द्वारा भी कागजातों की कॉपी भेजी गई थी। परिवादी ने दोबारा 11 अप्रैल 2017 को फिर से दस्तावेजों को जमा कराया, इसके बाद भी उसे दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया।
अनावेदक बीमा कंपनी ने प्रकरण में यह बचाव लिया कि सर्वेयर ने बीमित वाहन की क्षति के आंकलन हेतु आवश्यक दस्तावेजों की मांग परिवादी से की परंतु परिवादी ने सर्वेयर को दस्तावेज प्रदान नहीं किए इसके बाद लगातार बीमा कंपनी ने परिवादी को पत्र लिखे गए परंतु परिवादी ने फिर भी दस्तावेज नहीं दिए इसलिए आवश्यक दस्तावेजों के अभाव में परिवादी का दावा बंद कर दिया।
फोरम का फैसला
प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं प्रमाणों के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने उपभोक्ता के प्रति बीमा कंपनी द्वारा सेवा में निम्नता का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया। फोरम ने विचारण के दौरान यह पाया कि सर्विस सेंटर ईशान ऑटो वर्ल्ड के संचालक पंकज पांडे के शपथपत्र अनुसार उसके समक्ष ही परिवादी ने सर्वेयर को वाहन के समस्त आवश्यक दस्तावेज प्रदान किए थे। प्रकरण में सर्वेयर के अनुपस्थित रहा, इस कारण उसके संबंध में परिवादी द्वारा लगाए गए आक्षेपों को सत्य माना गया और सर्विस सेंटर संचालक के सर्वेयर को संपूर्ण दस्तावेज प्रदान किए जाने संबंधी बयान के आधार पर यह प्रमाणित हुआ कि बीमा कंपनी के सर्वेयर को परिवादी ने संपूर्ण दस्तावेज प्रदान कर दिए थे, इसके बाद भी सर्वेयर ने ना तो वाहन का सर्वे किया और ना ही बीमा दावा संबंधी प्रक्रिया में कोई सहयोग किया। इस कारण परिवादी अपनी दावा राशि से वंचित हो गया। सर्वेयर परिवादी के प्रति नहीं बल्कि बीमा कंपनी के प्रति उत्तरदायी है परंतु इससे ग्राहक को कोई सरोकार नहीं है। यदि परिवादी ने समुचित संपूर्ण दस्तावेज प्रदान कर दिए थे तो उससे बार-बार दस्तावेज मांगे जाने का कोई औचित्य नहीं था। अनावेदक बीमा कंपनी ने परिवादी के प्रति सेवा में निम्नता की है।
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर 11546 रुपये हर्जाना लगाया, जिसके तहत बीमा दावा राशि 8546 रुपये, मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु. 2000 तथा वाद व्यय के रुप में 1000 रुपये देना होगा एवं दावा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देय होगा।