छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित आईपीएस राहुल शर्मा आत्महत्या का मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार नारायण शर्मा ने राहुल शर्मा की आत्महत्या मामले की दोबारा जांच की मांग करते हुए प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा है जिसमे तत्कालीन बिलासपुर आईजी और एक हाईकोर्ट के जज की इस मामले में रही भूमिका पर सवाल उठाते हुए प्रकरण की दुबारा जांच की मांग की है।
पत्रकार नारायण शर्मा ने बताया की बिलासपुर के तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा के आत्महत्या प्रकरण में सीबीआई ने जो क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की है। उसमे सीबीआई अपनी जांच रिपोर्ट यह कहती है कि आत्महत्या के लिए राहुल शर्मा और तत्कालीन बिलासपुर आईजी के बीच उस दिन सुबह फोन पर हुई वार्तालाप ही जिम्मेदार हो सकती है।
सीबीआई ने अपनी जांच में यह साबित किया है कि राहुल शर्मा ने अपने सुसाइडल नोट में जिस बॉस का जिक्र किया है, वह बॉस कोई और नहीं, बल्कि आईजी बिलासपुर ही थे। कॉल डिटेल्स तथा बयानों के आधार पर सीबीआई ने यह भी साबित किया है कि आईजी एसपी के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करते थे, जिससे राहुल शर्मा बेहद तनाव में थे।
वहीँ नारायण शर्मा ने तत्कालीन आईजी पर आरोप लगाते हुए सूत्रों का हवाला देते हुए कहा की सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया है कि 11 मार्च को आईजी ने एएसपी आरके साहू को फोन कर कहा कि 12 मार्च को वे एसपी ऑफिस के स्टॉफ की बैठक लेंगे। आईजी ने इस बात की जानकारी मीडिया को भी दे दी, लेकिन एसपी को नहीं। 12 मार्च को स्थानीय अखबारों में खबर छपी कि एसपी के बाबुओं की क्लास लेंगे आईजी। एसपी को अखबार से ही इस बैठक की जानकारी मिली। सीबीआई ने आईजी के कॉल डिटेल के आधार पर इसकी पुष्टि की है। इस खबर से एसपी राहुल शर्मा बेहद आहत हुए और उन्होंने इस मामले में आईजी से मोबाइल पर चर्चा की। रिपोर्ट के अनुसार दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई। इसके बाद दोपहर में एसपी ने खुदकुशी कर ली।
सीबीआइ की जांच रिपोर्ट में 12 मार्च का घटनाक्रम 12 मार्च 2012 की सुबह 8.44 बजे एएसपी ग्रामीण आरके साहू ने एसपी राहुल शर्मा को फोनकर बताया कि आज आईजी एसपी कार्यालय के बाबुओं की बैठक लेने वाले हैं। 8.44 बजे एसपी राहुल शर्मा ने आईजी को फोन किया। दोनों के बीच 1111 सेकेंड (लगभग 19 मिनट) बात हुई। 9.04 बजे आईजी के मोबाइल से एसपी को फोन आया। दोनों के बीच 264 सेकेंड (लगभग साढ़े 4 मिनट बात हुई) सुबह करीब- 10 बजे राहुल शर्मा जब स्थानीय अखबार पढ़ रहे थे, तो उसमें भी उन्हें आईजी द्वारा एसपी कार्यालय के स्टॉफ की बैठक लेने की खबर दिखी। राहुल शर्मा ने इसे बेहद अपमानजनक माना। सुबह करीब- 10 बजे ही सिपाही राहुल शर्मा को नाश्ता लेकर आया। उस वक्त राहुल शर्मा बिस्तर पर लेटे हुए थे। राहुल शर्मा ने कमजोरी महसूस होने की बात कहते हुए उससे नाश्ता टेबल पर रखकर ग्लूकोज लाने के लिए कहा। कुछ देर पर उन्हें ग्लूकोज दिया गया, तो वे कई गिलास ग्लूकोज पानी पी गए। इसके बाद उन्होंने निजी स्टॉफ से कहा कि अब उन्हें ठीक महसूस हो रहा है। एसपी राहुल शर्मा ने कहा कि दोपहर में हल्का भोजन करेंगे और सीधे दोपहर में 1.30 से 2 बजे के बीच ऑफिस जाएंगे। दोपहर 2.30 बजे राहुल शर्मा का बॉडी गार्ड कमरे में पहुंचा। शर्मा बेडरूम में नहीं थे तो वह अंदर चला गया। अंदर राहुल शर्मा खून से लथपथ पड़े हुए थे।
सीबीआई की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि 2.30 बजे राहुल शर्मा को घायल अवस्था में कमरे में देखे जाने के बाद क्या हुआ। उन्हें किसने और कितने बजे अस्पताल पहुंचाया? और इस बात का भी जिक्र नहीं है कि राहुल शर्मा को अस्पताल पहुंचाने के बाद घटनास्थल को कितनी देर बाद सील किया गया और क्या इस दौरान घटनास्थल पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी हुई? राहुल शर्मा की मौत की सूचना परिजनों को किसने और कितने बजे दी? मेस के जिस कमरे में राहुल शर्मा घायल अवस्था में मिले उस कमरे को किसने सील किया? रिपोर्ट में राहुल शर्मा के लैपटॉप और होलेस्टर का भी कहीं कोई उल्लेख नहीं है?
इन्ही सब तथ्यों को लेकर पत्रकार नारायण शर्मा ने पुनः जांच की मांग उठाई है।