महाकवि कालिदास पंडो का जन्म महोत्सव मनाया गया

महाकवि कालिदास पंडो का जन्म महोत्सव मनाया गया
खरसिया।
आदिवासी महाकवि कालिदास पंडों का जन्मदिवस उनकी जन्मस्थली मृगाडाँड़ में भारत पंडो आदिवासी समाज के तत्वाधान में आदिवासी परंपरा के अनुसार मनाया गया। इस अवसर पर नंदकुमार साय अध्यक्ष राष्ट्रीय जनजाति आयोग भारत सरकार नई दिल्ली मुख्य अतिथि थे तथा डॉ. रामविलास शर्मा तहसीलदार चांपा ने समारोह की अध्यक्षता की । मुख्य अतिथि ने आदिवासी महाकवि कालिदास पंडों के जन्म महोत्सव का शुभारंभ आदिवासी महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर तथा पूजा अर्चना कर किया। मुख्य अतिथि नंदकुमार साय ने अपने उद्बोधन में बताया कि महाकवि कालिदास ने अनेक ग्रंथों की रचना की और उनके सात प्रमुख ग्रंथ हैं, उनमें ऋतुसंहार, मेघदूत, अभिज्ञान, शाकुंतलम्, रघुवंशम्, कुमारसंभव, मालविकाग्निमित्रम् और विक्रमोर्वशीय शामिल है। उन्होंने बताया कि ऋतुसंहार और मेघदूत में वर्णित स्थल पहाड़ फूल पेड़ पौधे आदि के वर्णन मृगाडाँड़ स्थित रामगढ़ पहाड़ी से मेल खाता है और मृगाडाँड़ को उनकी जन्मस्थली प्रमाणित करता है, कोई भी साहित्यकार अपने प्रारंभिक रचना में अपने जन्म स्थल के प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करता है, उन्होंने ऋतुसंहार और मेघदूत के कई पदों का संस्कृत में पाठन किया तथा प्रमाणित किया। उन्होंने बताया कि रामटेक में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे कालिदास का वहां से संबंध जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा करने के लिए महाकवि कालिदास ने जो उपदेश हमें दिए है उनका प्रचार-प्रसार किए जाने की आवश्यकता है, हमें देखना होगा कि पहाड़ को कोई तोड़ ना सके और जंगलों को कोई काट ना सके, क्योंकि आदिवासी समाज का भरण पोषण तथा अर्थव्यवस्था पूरी तरह से जंगलों और पहाड़ों पर निर्भर हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे तहसीलदार विजय शर्मा ने कहा कि महाकवि कालिदास पंडो जनजाति के थे, तथा मृगाडाँड़ के निवासी थे। उन्होंने आदिवासी समाज को वनचर समाज के रूप में मेघदूत में उल्लेख किया है।उड़ीसा के झारसुगुड़ा में दिनांक 10 अगस्त 2019 को हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी भारत के विद्वानों ने एकमत से महाकवि कालिदास को पंडो आदिवासी तथा मृगाडांड का निवासी बताया है, तथा संकल्प पारित किया है। उन्होंने आगे बताया कि आदिवासी महाकवि कालिदास की जयंती असम, नागालैंड, नॉर्थ ईस्ट, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बालाघाट, ऋषिकेश, खंडवा 15 नवंबर को उनका जन्म महोत्सव मनाया जाता है। डॉ राम विजय शर्मा ने अपने शोध पत्र में बताया है कि आदिवासी महाकवि कालिदास पंडो का जन्म 15 नवंबर 350 ईसवी तथा स्वर्गवास 15 मार्च 450ईस्वी को हुआ था। उनके पिता का नाम शिवदास पंडो तथा माता का नाम तारा देवी था। उनका एकमात्र पुत्र था जिसका नाम भरत पंडो था। राम विजय शर्मा ने आगे महाकवि कालिदास की जीवनी के संबंध में भी श्रोताओं को बताया इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राधेश्याम जी, अखंड विधायक श्याम नारायण, पुरातत्व विद चारुचंद्र, प्रबोध सिंह, श्याम लाल जायसवाल, राजू तिवारी, लवकेश राजवाड़े, नवल सिंह, भगतराम, महिपाल, बुध मोहन सिंह, सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे। मंच संचालन अखंड विधायक श्याम नारायण ने किया। तथा आभार प्रदर्शन भारत पंडो समाज के राष्ट्रीय सचिव शिवचरण पंडों के द्वारा किया गया।

Sunil Agrawal

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