पुलिसिया जुल्म के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु..? CSP और SDM के खिलाफ जांच की मांग! हाईप्रोफाइल पत्र से मचा हड़कंप!

रायगढ़। शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ने राष्ट्रपति को भेजे एक सनसनीखेज पत्र में आरोप लगाया है कि प्रशासन से संवाद की पहल करने पर उन्हें पुलिसिया जुल्म का शिकार होना पड़ा। उन्होंने पत्र में दो प्रमुख अधिकारियों—नगर पुलिस अधीक्षक आकाश शुक्ला और अनुविभागीय दंडाधिकारी प्रवीण तिवारी—पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है। कार्रवाई न होने की स्थिति में उन्होंने इच्छा मृत्यु की अनुमति की मांग भी की है।
आंदोलन को सुलझाने पहुंचे, बने निशाना
पत्र में नीलकंठ साहू ने 9 और 10 मार्च 2025 को ऐश्वर्यम कॉलोनी और गोवर्धनपुर ग्रामवासियों द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण, कृषि भूमि पर कच्ची सड़क और धूल से निजात पाने के लिए आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि वे आंदोलन को सुलझाने हेतु प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच सेतु बनने की कोशिश कर रहे थे। बातचीत की पहल भी की गई, लेकिन प्रशासन की ओर से संवाद में रुकावट और बाद में पुलिस की कार्रवाई ने मामले को और भी जटिल बना दिया।
अधिकारियों पर मनमानी और अभद्रता का आरोप
साहू के अनुसार, 10 मार्च को जब वे दोबारा प्रदर्शनकारियों की मांग प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, तभी पुलिस बल ने टेंट उखाड़ दिए और बिना कोई संवाद किए धरना स्थल खाली करवा दिया। इसी दौरान नगर पुलिस अधीक्षक आकाश शुक्ला द्वारा उन्हें जबरन खींचकर थाने ले जाया गया। आरोप है कि वहां उनके साथ मारपीट की गई, जिससे उनके जबड़े के दांत टूट गए और रक्तस्त्राव भी हुआ।

हिरासत में रात भर रखा गया, बिना परिवार को सूचना
नीलकंठ साहू का कहना है कि उन्हें न तो अपने परिवार को सूचना देने दी गई, न ही डॉक्टर से अपनी चोटों के बारे में खुलकर बात करने का मौका मिला। बाद में उन्हें सीधे जेल भेज दिया गया। यह सब तब हुआ जब वे प्रशासन द्वारा आयोजित शांति समिति की बैठकों में सालों से सक्रिय सहयोगी के रूप में काम करते आए हैं।
संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन
पत्र में उन्होंने इस पूरी घटना को उनके संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन बताते हुए लिखा है कि प्रशासन ने न केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता की गरिमा को ठेस पहुँचाई, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अनदेखी की है।
मांग की निष्पक्ष जांच या इच्छा मृत्यु की अनुमति
उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए कहा है कि यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच कर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए। यह पत्र उन्होंने मुख्य न्यायाधीश, मुख्य सचिव, डीजीपी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और कई अन्य अधिकारियों को भी भेजा है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब तक इस पत्र पर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन मामले ने रायगढ़ समेत राज्य भर में सामाजिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है।