रायगढ़ में बिक्री 2500 रुपए वर्गफुट की दर पर, रजिस्ट्री 600 रुपए के रेट से…

रायगढ़ में दर्जन भर निजी कॉलोनियां आकार ले रही हैं। कहीं पर भी रेट 2000 रुपए वर्गफुट से कम नहीं है। जमीन की खरीदी और प्लॉट की रजिस्ट्री दरें इससे कहीं कम हैं। कई बिल्डर तो प्लॉट का पैसा 2500 रुपए वर्गफुट की दर से ले रहे हैं लेकिन रजिस्ट्री 600 रुपए की दर पर हो रही है। संपत्ति की गाइडलाइन दरों को कम रखने का असली फायदा बिल्डर उठा रहे हैं। मनमाने तरीके से कीमतें तय की जा रही हैं। रायगढ़ में वर्तमान में कम से कम दर्जन भर नई कॉलोनियां निर्माणाधीन हैं। छातामुड़ा, सहदेवपाली, जूट मिल, मेडिकल कॉलेज रोड, पंडरीपानी, बोईरदादर, गोवर्धनपुर, भगवानपुर, खैरपुर और अमलीभौना क्षेत्रों में ये कॉलोनियां काटी जा रही हैं।
पड़ताल की गई तो किसी भी कॉलोनी में भूखंड की कीमत 1500 रुपए प्रति वर्गफुट की दर से कम नहीं है। रायगढ़ में आवासीय कॉलोनी परिसर में प्लॉट की अधिकतम कीमत 7100 रुपए प्रति वर्गफुट है। जब इन क्षेत्रों की गाइडलाइन दरें देखी गईं तो पता चला कि यहां तो 500-600 रुपए प्रति वर्गफुट सरकारी रेट है। इस दर पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन शुल्क लिया जाता है। मतलब सरकार को राजस्व तो 500 रुपए प्रति वर्गफुट पर ही मिलता है। जबकि बिल्डर इसकी कीमत पांच गुना अधिक वसूलता है। जमीन खरीदी की दर तो प्रति एकड़ के हिसाब से होती है। यह बहुत बड़ा घपला है जिसमें ब्लैक मनी धड़ल्ले से निवेश कराई जा रही है। जिनके पास ब्लैक मनी खपाने का कोई तरीका नहीं है, वे किसी बिल्डर को देकर इन्वेस्ट करवा रहे हैं। यही वजह है कि दूसरे प्रदेशों के कारोबारी भी छग में निवेश कर रहे हैं।
पुरानी गाईडलाईन को लागू करने का खेल
छग में 2017 के बाद से गाइडलाइन दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। 2018 में कांग्रेस सरकार आई तो दरों में 30 प्रश की कटौती कर दी। मतलब जमीनों की कीमतें और कम हो गईं। भाजपा सरकार ने इसे खत्म कर दिया, लेकिन गाइडलाइन दरें 2017 वाली ही हैं। आखिर दरें नहीं बढ़ाने के पीछे किसको फायदा पहुंचाने का खेल हो रहा है। दरें नहीं बढऩे की वजह से महंगी प्रॉपर्टीज भी कौडिय़ों के दाम पर मिल जाती हैं। 2017 से 2025 तक जमीनों की कीमतें दस गुना बढ़ गई हैं लेकिन सरकारी रेट वही का वही है।
70 प्रश हिस्सा कैश में
रायगढ़ में सभी बिल्डर जमकर ब्लैक मनी कूट रहे हैं। कोई भी व्यक्ति जब इनसे कोई प्लॉट या मकान खरीद रहा है तो सरकारी दरों पर भुगतान उसे चैक में दिखाया जा रहा है। मतलब 1200 वर्गफुट प्लॉट की गाइडलाइन दर से कीमत अगर 4 लाख रुपए होती है तो उतनी रकम चैक से ले रहे हैं। लेकिन सौदा तो 24 लाख में हुआ है। अब यह बाकी का 20 लाख कैश में या किसी और रूप में लिया जाता है।