आश्रय गृह में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की संदिग्ध मौत! प्रशासन की नाकामी या सुनियोजित साजिश?” कलेक्टर ने दिए जाँच के आदेश…

जशपुर।
कैसे हुई यह दर्दनाक घटना?
जानकारी के अनुसार, पीड़िता आस्ता थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। कुछ दिन पहले उसने जशपुर थाना पहुंचकर दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। मामला संज्ञान में आते ही पुलिस ने आरोपी नाबालिग को हिरासत में लेकर बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया। चूंकि पीड़िता की मां नहीं थी और पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ थे, इसलिए उसे आश्रय गृह में रखा गया था।
मंगलवार सुबह जब कर्मियों ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं मिला। जबरन दरवाजा खोला गया, तो देखा कि पीड़िता फांसी के फंदे पर झूल रही थी। यह खबर आग की तरह फैली और पूरे इलाके में सनसनी मच गई।
प्रशासन की लापरवाही या साजिश?
इस मामले में प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं—
आश्रय गृह में सुरक्षा इंतजाम क्यों नाकाफी थे?
क्या पीड़िता मानसिक दबाव में थी या फिर उसे आत्महत्या के लिए उकसाया गया?
क्या आश्रय गृह में उसके साथ कोई और अपराध तो नहीं हुआ?
घटना के बाद आनन-फानन में महिला चिकित्सा अधिकारियों की विशेष टीम ने पोस्टमार्टम किया और शव परिजनों को सौंप दिया।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, मगर क्या मिलेगा न्याय?
मामले की गंभीरता को देखते हुए जशपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने एसडीएम ओंकार यादव के नेतृत्व में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, सवाल उठता है कि क्या यह जांच पीड़िता को न्याय दिला पाएगी या फिर यह भी प्रशासन की खानापूर्ति बनकर रह जाएगी?
राजनीतिक बवाल, विपक्ष हमलावर : इस दर्दनाक घटना को लेकर राजनीतिक दलों ने सरकार पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शर्मा ने कहा, “यह प्रशासन की नाकामी का सबसे बड़ा उदाहरण है। एक नाबालिग, जिसे न्याय मिलना चाहिए था, उसने खुद की जान ले ली। क्या सरकार सो रही है?”
न्याय की मांग, क्या होगी कार्रवाई?
अब सवाल यह है कि क्या इस घटना में दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी? क्या सरकार और प्रशासन बाल संरक्षण की व्यवस्थाओं को सुधारेंगे, या फिर यह मामला भी दूसरी घटनाओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि सिस्टम पर तमाचा है!