Chhattisgarh में अदालत का आदेश- दो थानेदारों के खिलाफ FIR करो

Chhattisgarh में अदालत का आदेश- दो थानेदारों के खिलाफ FIR करो

दुर्ग में प्रोफेसर पर हमला मामले के आरोपी प्रोबीर शर्मा की पत्नी द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में पेश आवेदन की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अमिता जायसवाल ने आईजी दुर्ग को निर्देशित किया है कि, थाना प्रभारी पुरानी भिलाई महेश ध्रुव और थाना प्रभारी महिला थाना सेक्टर 6 श्रद्धा पाठक के विरुध्द विभागीय कार्यवाही के साथ साथ आपराधिक दायित्व धारा 127(1) के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जाए। इस मसले पर एसपी दुर्ग जितेंद्र शुक्ला ने कहा है कि, अभी उन्हें न्यायालय का आदेश नहीं मिला है।

क्या है मसला



दुर्ग कोर्ट में डॉ पूर्णिमा शर्मा की ओर से आवेदन/शपथ पत्र पेश कर आरोप लगाया गया कि, उन्हे बगैर किसी अपराध के लगभग 15 घंटे थाने में बैठाकर रखा गया। डॉ पूर्णिमा शर्मा, सुपेला में हुए प्रोफेसर हमला कांड के आरोपी प्रोबीर शर्मा की पत्नी हैं।

अदालत ने क्या कहा है

अदालत ने आदेश में उल्लेख किया है कि, प्रथम यह साबित है कि, थाना प्रभारी पुरानी भिलाई महेश ध्रुव के द्वारा डॉ पूर्णिमा शर्मा को लगभग 15 घंटे थाने में बैठाकर निरुद्ध रखा गया, जिसमें सक्रिय सहभागिता महिला थाना प्रभारी श्रद्धा पाठक की भी थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अमिता जायसवाल ने इस निष्कर्ष के आधार हेतु सीसीटीवी फुटेज का जिक्र किया है। इन शब्दों में आदेश लिखा गया है-“प्रशांत मिश्रा थाना भिलाई नगर के द्वारा अपने जवाब में यह बताया गया है कि, थाना प्रभारी पुरानी भिलाई महेश ध्रुव के द्वारा डॉ पूर्णिमा शर्मा को महिला थाना में बैठाया गया था, जिसे थाना प्रभारी महेश ध्रुव के द्वारा 14 जनवरी को अदालत में स्वीकार किया। महिला थाना प्रभारी श्रद्धा पाठक के द्वारा अपने जवाब में यह उल्लेखित किया गया कि थाना प्रभारी महेश ध्रुव के द्वारा डॉक्टर पूर्णिमा को थाने में नहीं बैठाया गया है, जबकि सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट है कि पूर्णिमा को लगभग 15 घंटे थाने में बैठाकर रखा गया था।”

कार्यवाही के लिए आईजी को निर्देशित किया

अदालत ने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि, अभिरक्षा शब्द से यह अर्थ नहीं निकलता कि लॉकअप में ही रखा जाए। एक स्थान में निगरानी में रखना भी अभिरक्षा/हिरासत / निरुद्ध की श्रेणी में आता है। बीएनएसएस की धारा 179 के तहत किसी महिला को थाने में पूछताछ के नाम पर उपस्थित होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। महिला को उसके निवास स्थान के अतिरिक्त भिन्न स्थान पर पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा जब तक कि वह अपनी सहमति ना दे। पूछताछ के नाम पर बिना किसी अपराध के डॉ पूर्णिमा शर्मा को निरंतर 15 घंटे सूर्यास्त के पश्चात तक महिला थाने में बैठाकर निरुद्ध रखा गया जो कि विधि के प्रावधानों के विपरीत है, जो विभागीय कार्यवाही के साथ साथ आपराधिक दायित्व भी बनता है। अदालत ने विभागीय कार्यवाही और एफआईआर के लिए आईजी रेंज दुर्ग रामगोपाल गर्ग को निर्देशित किया है।

एसपी बोले- अभी आदेश मिला नहीं है

इस पूरे मसले पर एसपी जितेंद्र शुक्ला ने यह कहा है कि, अभी उन तक आदेश की कॉपी नहीं पहुँची है। एसपी जितेंद्र शुक्ला ने कहा -“हमें मीडिया एवं अन्य स्त्रोतों से कुछ सूचना जरुर आई है लेकिन अभी आदेश की कॉपी नहीं मिली है। यदि आदेश वैसा ही है जैसा कि मीडिया से मिली सूचना है तो यह आदेश ना केवल अवैधानिक है बल्कि दुर्भावनापूर्ण है। दुर्ग पुलिस इस आदेश की वैधानिकता को चुनौती देगी।”

आईजी बोले- मैंने एसपी को पत्र भेज दिया है

इस पूरे मसले पर आईजी दुर्ग रेंज रामगोपाल गर्ग ने कहा है कि, अदालत का आदेश फ़िलहाल नहीं है लेकिन एसपी को इस संबंध में उनके कार्यालय से पत्र भेज दिया गया है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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