कानपुर के बने गोले अब इजरायल की सेना में होंगे शामिल, यूरोप और मध्य पूर्वी देशों से निर्यात ऑर्डर बढ़े

कानपुर।
ओएफसी को इजरायली डी-30 आर्टिलरी गन के लिए 122 मिमी. के गोले बनाने का ऑर्डर मिला है। इन गोलों की मारक क्षमता 15 से 50 किलोमीटर की दूरी तक है।
उत्पादन की गति और गुणवत्ता दोनों में हुआ है सुधार
यह सफलता ओएफसी को रक्षा मंत्रालय के पीएसयू एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआइएल) की इकाई से प्राप्त डिजाइन और तकनीकी सहयोग से मिली है। ओएफसी के इंजीनियरों ने इजरायली आर्टिलरी गन डी-30 के लिए उन्नत 122 मिमी. के गोले बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इन गोले को बनाने के लिए फैक्ट्री में मौजूद अत्याधुनिक रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे उत्पादन की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ है।

रोबोटिक्स तकनीक की मदद से ओएफसी एक दिन में 50 के बजाय 200 बम के खोखे तैयार कर सकता है। इस तकनीक के माध्यम से शेल्स का निर्माण बिना किसी गुणवत्ता में कमी के किया जाता है। ओएफसी के पास रोबोटिक्स प्लांट है, जिसमें आठ से ज्यादा रोबोट 105 मिमी. से लेकर 155 मिमी. के गोलों के खोखे तैयार करते हैं। इससे उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।यूरोपीय और मध्य पूर्व देशों में गोले के निर्यात ऑर्डर बढ़े
यूरोपीय और मध्य पूर्व देशों से गोले के निर्यात ऑर्डर भी बढ़े हैं, जिससे ओएफसी का उत्पादन और निर्यात दोनों बढ़े हैं।
एडब्ल्यूईआइएल के सीएमडी राजेश चौधरी के अनुसार, यूरोपीय और मध्य पूर्व देशों से हथियारों और गोलों के निर्यात आर्डर मिल रहे हैं। फिलहाल कंपनी के पास 650 करोड़ रुपये के निर्यात आर्डर हैं और 20 हजार करोड़ रुपये के टेंडर प्रक्रिया में शामिल हैं।
कानपुर की आर्डनेंस फैक्ट्री का यह कदम न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की स्वावलंबन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय तकनीक और उत्पादों की गुणवत्ता को भी सिद्ध कर रहा है।