कांग्रेस में, वक्त है बदलाव का, अब किसकी बारी, आलाकमान के निर्णय से हड़कंप, कमजोर विधायकों के टिकट को लेकर कयास ….

कांग्रेस में, वक्त है बदलाव का, अब किसकी बारी, आलाकमान के निर्णय से हड़कंप, कमजोर विधायकों के टिकट को लेकर कयास ….

कुछ दिनों में ही कांग्रेस में कई फेरबदल हो गए। इस फेरबदल के कई मायने सियासी हलकों में निकले जाने लगे हैं। खासकर उन विधायकों की हालत पतली है जिनका रिपोर्ट कमतर कहा जा रहा था। कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह का स्टैंड लिया है उससे यह लगने लगा है कि आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव के प्रति कांग्रेस गंभीर है और आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। 

जो लोग कल तक यह कहते थे कि कांग्रेस में ऐसा नहीं होता उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है। चुनाव में परफॉर्मेंस एक बड़ा फैक्टर होगा यह बात सांकेतिक रूप से बताने का प्रयास कांग्रेस आलाकमान दे रही है। यह भी संदेश है कि यदि आपके परफॉर्मेंस में कमी है तो सुधारो अन्यथा कोई आपके।पक्ष में हो आपके साथ खड़ा नहीं होगा। शिकायत से लेकर काम तक पर चर्चा होगी और टिकट वितरण में यह बड़ा आधार होगा। कांग्रेस संभवतः पहली बार बैकअप प्लान के साथ चुनाव में आ रही है। बताया जाता है कि वह किसी भी कीमत पर छत्तीसगढ़ खोने के मूड में नहीं है। 

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो प्रेम सिंह टेकाम का कमतर परफार्मेंस और ढेरों शिकायत दोनों थी। बताया तो यहां तक जाता है कि उनपर कुछ आप भी पार्टी के अंदर लगाए गए, हालांकि वह सतह पर नहीं आ सका। इसके अलावा उनके काम काज पर कई सवाल उठते रहे हैं। हालांकि उनके इस्तीफा का कारण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है । पार्टी अध्यक्ष को लेकर भी यही बात सामने आ रही है कि उनके परफॉर्मेंस से पार्टी के।लोग और मुख्यमंत्री तक संतुष्ट नहीं थे लिहाजा उन्हें भी बदल दिया गया। 

आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से अगर हम इस बदलाव को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि परफॉर्मेंस के आधार पर पार्टी इस बार कई लोगों का टिकट काट सकती है। बताया जाता है कि पार्टी इस बार काम से कम 22 एमएलए का टिकट काट सकती है जिनका परफॉर्मेंस कमजोर है, जिनका सर्वे में नेगेटिव मार्किंग की गई है, जिनसे ज्यादातर आम कार्यकर्ता नाराज हैं। कई विधायक ऐसे भी हैं जिनसे संगठन के सारे लोग नाराज हैं ऐसे में पार्टी सावधानी से कदम उठा रही है और ऐसे लोगों को टिकट काटने वाली है। 

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ माहौल था। पूरे राज्य में एक लहर थी। हर कोई भाजपा सरकार को अपदस्थ करना चाहता था। इस लहर में कई लोगों का बेड़ा पार तो हो गया लेकिन जो लोग अपनी कामयाबी को सहेजकर नहीं रख सके उनके लिए मुश्किल तो आयेगी। दरअसल इस बार कांग्रेस के पक्ष में वैसी लहर नहीं होगी, जनता विधायक के कार्यों का आंकलन करेगी, सरकार के समर्थक विधायक के भी समर्थक हों जरूरी नहीं है। हालांकि पूरे प्रदेश में कोई  anti incumbency भी नहीं है लेकिन कई सर्वे में बताया गया है स्थानीय विधायकों के प्रति कई जगह लोगों में आक्रोश है। ऐसे में पार्टी बड़ा निर्णय जरूर लेगी और उसी का संकेत देने की कोशिश पार्टी कर रही है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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