व्हाट्सएप्प जासूसी कांड में नया आरोप, यह सर्विलांस नहीं षड्यंत्र का मामला, हमारे फ़ोन से ही हमें फंसाने की कोशिश, सरकार स्पष्ट करे…

व्हाट्सएप्प जासूसी कांड के शिकार सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बातचीत के दौरान इसे सर्विलांस नहीं बल्कि षड्यंत्र का हिस्सा बताया है।
छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला, शालिनी गेरा और बेला भाटिया से बातचीत से मिली जानकारी के बाद और जानना चाहा कि यदि सरकार यह जासूसी करवा रही है तो आप उनके टारगेट में क्यों हैं ?
सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने कहा कि हम जनता के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं, अडानी जैसे औद्योगिक घरानों के आतंक के खिलाफ हैम सरगुजा में खड़े हैं ऐसे में सरकार को यह लगता है कि इनकी जासूसी कर इन्हें अपने ग्रिप में लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम अपनी लड़ाई खुलेआम लड़ रहे हैं, लोगों के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं लेकिन हमारी जासूसी करना हमारे निजता के अधिकार का उलंघन है जिसे हमें संविधान ने दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी इसे सरकारी इस्तेमाल के लिए होना बात रही है उससे साफ जाहिर है सरकार को हमारी आवाज जो जनहित में है रास नहीं आ रही है ।
पीयूसीएल के सचिव शालिनी गेर ने मुनादी को बताया कि ज्यादातर वे लोग इस सॉफ्टवेयर की चपेट में आये हैं जो भीमा कोरेगांव केस से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब पूरा मोबाइल पर उनका अदृश्य कब्जा है तो वे कुछ भी करके हमें फंसा सकते हैं। किसी को मेल कर सकते हैं, किसी को कुछ भी उल्टा पुल्टा संदेश भेज सकते हैं और फिर हमसे पूछा जाएगा कि आपने ऐसा कैसे किया ? जबकि हमें पता भी नहीं चलेगा कि यह कैसे हो गया। अब सरकार किसी को फंसाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है। ऐसे में जबकि हम अपने मोबाइल से बैंकिंग भी करते हैं हो सकता है वह भी कभी टारगेट में आ जाय और हमारा पैसा गायब हो जाय। सरकार का यह तरीका हमारे अधिकारों का हनन और षड्यंत्रपूर्वक किया गया कृत्य लगता है।
बस्तर में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली बेल भाटिया ने कहा कि हमारा कोई भी काम छुपा हुआ नहीं होता, हम खुलकर मानवाधिकारों के लिए काम करते हैं और मानवाधिकार के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी न सिर्फ निजता के अधिकारों का हनन है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात भी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार यह साफ कर की की क्या उसने इस्रायल से #pegasus सॉफ्टवेयर खरीद है या नहीं। यह ज्यादा खतरनाक है क्योंकि सभी जानते हैं कि इस्रायल ने किस तरह पिलिस्तीनिओं के खिलाफ मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाई है।
बहरहाल सरकार के तमाम खंडन के बाद भी यह मामला उनका पीछा छोड़ते नहीं दिख रहा है। इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी तंज कसा है और इस बीच सरकार ने भी व्हाट्सएप्प से सफाई मांगी है लेकिन सरकार फिर भी इस विवाद के केंद्र में आ गयी है।