कैसे रहती है दुनिया के सबसे महंगे शहर Hong Kong की बड़ी आबादी?

हांगकांग में प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमत ने एक बार फिर से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. वहां हाल ही में एक सोसायटी में पार्किंग स्पेस बिका, जिसे दुनिया का सबसे महंगा पार्किंग स्पेस कहा जा रहा है. इसके प्रति वर्ग फुट के हिसाब से लगभग 134.5 वर्ग फुट की जगह साढ़े 9 करोड़ से भी ज्यादा में बिकी. ये जगह सोसायटी में रहने वाले अपनी गाड़ियों के लिए इस्तेमाल करेंगे. वैसे हांगकांग जमीन के लिहाज से दुनिया के सबसे महंगे शहरों में आता है।
लगभग 75 लाख की आबादी वाले हांगकांग (Hong Kong) को लिविंग कॉस्ट के लिहाज से दुनिया का सबसे महंगा शहर (most expensive city in the world) मानते हैं. वहां लोगों के लिए जमीन का छोटा टुकड़ा भी बाकी नहीं. ऐसे में लोग कारों से लेकर ताबूतों तक में सो रहे हैं.
इतनी होती है इन घरों की कीमत
जगह की कमी को दूर करने के लिए यहां अजीबोगरीब तरीके निकल चुके. जैसे लोग कड़ी के ताबूतनुमा घरों में रहते हैं. 15 स्क्वैयर फीट के लकड़ी के ये बॉक्स ताबूत की शक्ल के होने के कारण कॉफिन क्यूबिकल भी कहलाने लगे हैं. ये वाकई में कब्र की शक्ल के ही होते हैं जिसमें एक या दो लोगों के साथ कुछेक सामान आ सकता है।
कॉफिन क्यूबिकल बनवाने लोग रियल एस्टेट से ताल्लुक रखते हैं. केज या कॉफिन बनवाने के लिए ये लोग लगभग 400 स्क्वैयर फीट का घर किराए पर लेते या खरीदते हैं. फिर उसे 20 डबल डेकर बिस्तरों के साथ कॉफिन क्यूबिकल में बदल देते हैं. हर बिस्तर का किराया $250 USD यानी लगभग 17,781 रुपए महीने के आसपास होता है।
2 लाख लोग ऐसे हाल में रहने को मजबूर 6 फुट वाले लोगों के लिए सीधा खड़ा होना नामुमकिन
लगभग 7.5 मिलियन आबादी वाले हांगकांग का सेंसस बताता है कि एक बड़ी आबादी इन्हीं कॉफिन क्यूबिकल्स में गुजारा कर रही है क्योंकि देश के पास विस्तार के लिए जमीन का नया कोई टुकड़ा नहीं. एक NGO- द सोसाइटी फॉर कम्युनिटी ऑर्गनाइजेशन (एसओसीओ) के अनुसार लगभग 2 लाख लोग, जिनमें 40 हजार बच्चे भी शामिल हैं, इन घरों में रह रहे हैं।
कॉफिन क्यूबिकल में रहने वाले अधिकतर लोग रेस्टोरेंट में वेटर, क्लीनर, मॉल्स में सिक्योरिटी गार्ड्स और डिलीवरी का काम करते हैं जो खुले घरों का किराया नहीं दे पाते हैं और ऐसे घरों में रहने लगते हैं. घर इतने छोटे होते हैं कि छह फुट की ऊंचाई वाले लोग तनकर खड़े नहीं हो सकते. सोने के लिए पैर सिकोड़कर सोना पड़ता है।
शवों को दफनाने के लिए लगती है लॉटरी
बीच में आई एक और खबर ने तहलका मचा दिया था, जिसके मुताबिक जगह न होने के कारण वहां शवों को दफनाने के लिए पुराने शवों को खोदकर निकाला जा रहा है. वहां की सरकार के आदेशानुसार देश में नए कब्रिस्तान नहीं बनाए जाएंगे. साथ ही आदेश दिया गया कि बनी-बनाई कब्रों को खोदकर हर 6 साल में शव निकालकर उन्हें जला दिया जाए ताकि नए आने वाले शवों के लिए जगह बन सके. मृतक का नंबर 6 साल में आएगा, उसके बाद भी जगह मिलेगी या नहीं, ये लॉटरी से तय होता है।
ये शहर हैं महंगाई में आगे
हांगकांग अपनी कॉस्ट ऑफ लिविंग यानी रहने-खाने के खर्च के लिहाज से दुनिया का सबसे महंगा शहर है. मर्सर ने साल 2020 में ये सर्वे किया था, जिसमें हांगकांग के बाद अश्गाबात (तुर्कमेनिस्तान) दूसरे स्थान पर रहा. इसके बाद टोक्यो, ज्यूरिख और सिंगापुर का नाम है. छठवें स्थान पर न्यूयॉर्क, सातवें स्थान पर शंघाई, आठवें स्थान पर बर्न और जिनेवा शहर रहे, जबकि बीजिंग दसवें स्थान पर रहा।