मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई ढाई-ढाई साल का फार्मूला नहीं…बात बेतुकी, ऐसा कोई करार नहीं हुआ : पीएल पुनिया

रायपुर। छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फॉर्मूला फिर जोर पकडऩे लगा है ऐसा महसूस हो रहा है। हालांकि वरिष्ठ नेता और मंत्री रविंद्र चौबे ने एक बयान में कहा है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई ढाई-ढाई साल का फार्मूला नहीं है। चूँकि जब छत्तीसगढ़ में 67 विधायक कांग्रेस के चुन कर आए थे तब मुख्यमंत्री पद के लिए काफी मशक्क़तो का दौर चला था जग जाहिर है। एक समय यह भी हो गया था कि ताम्रध्वज साहू को मुख्यमंत्री बना दिया जाय। उस समय एक अनार सौ बीमार वाली बात हो रही थी। भूपेश बघेल, टी एस सिंहदेव, डाक्टर चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू चारो मुख्यमंत्री की कुर्सी दौड़ में शामिल थे। वैसे कांग्रेस की परंपरा रही है कि अधिकतर प्रदेशों में जो कांग्रेस अध्यक्ष रहे हो उसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है और सरकार अगर बनी तो मुख्यमंत्री का दावेदार कांग्रेस अध्यक्ष ही सर्वोपरि होता है हालांकि सब जगह यह फार्मूला लागू भी नहीं किया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में ऐसे देखा जाये तो भूपेश बघेल का पलड़ा भारी दिख रहा था। लेकिन चुनाव के समय की परिस्थिति में टीएस सिंहदेव को भी कम आंकना भी ठीक नहीं था वित्तीय प्रबंधन में टी एस बाबा का कोई सानी नहीं है। बहरहाल मुख्यमंत्री बनने के वक्त काफी रस्साकशी भी देखने को मिली थी और अंत में यह भी प्रचारित की गई औ उड़ती हुई खबर भी सत्ता के गलियारे से छनकर आयी थी कि छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमति बनी है। बहरहाल ढाई-ढाई साल या पुरे पांच साल ये तो कांग्रेस आलाकमान को तय करना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ढाई साल 17 जून को हो रहा है लेकिन जुबानी जंग अभी से चालू हो गई है। हालांकि इस मामले में कोई तल्खियां दोनों तरफ से नहीं आ रही है। नपी तुली शब्दों का ही प्रयोग अभी हो रहा है। हालांकि इन सारी अटकलबाजियों पर प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बयान दिया की ढाई-ढाई साल का कोई फार्मूला छत्तीसगढ़ में नहीं है। इस प्रकार उन्होंने सारी कयासों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने यह भी कह कि इस प्रकार की कोई न तो चर्चा है और न ही ऐसा कुछ होने वाला है। कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में पूरे पांच साल भूपेश बघेल के नेतृत्व में पूरा करेगी। पूर्व में कुछ समय पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया था कि अगर आलाकमान का आदेश होगा, तो वे तुरंत इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। सीएम ने यह भी कहा था कि उन्हें पद का मोह नहीं है। ढाई-ढाई साल के कार्यकाल को लेकर जब हवा उडी थी तब बिलासपुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि, किसी का कार्यकाल तय नहीं होता, हाईकमान फैसला लेता है। उन्होंने एक समारोह में पत्रकारों से कहा था कि, राजनीति में कुछ स्थायी नहीं। वैसे देखा गया है कि कांग्रेस में आला कमान समय और परिस्थिति के अनुसार तात्कालिक निर्णय लेती है। कांग्रेस पार्टी की कुछ राज्यों में सरकार है जिसमे पंजाब और राजस्थान पहले ही मुख्यमंत्री को बदलने हेतु विरोधीगुट भारी दबाव बनाये हुए है। आलाकमान ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेगा जिससे किसी भी मुख्यमंत्री को बदलने के बाद अन्य प्रदेशो में भी उसका असर दिखे। आलाकमान अपने सबसे निकट कैप्टन अमरिंदर सिंह को खोना नहीं चाहता एवं अपने पारिवारिक मित्र अशोक गहलोत को कार्यमुक्त होने देना नहीं चाहता। इसी कारण राजनितिक पंडितो का यह अनुमान है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव तक किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को बदलने के पक्ष में नहीं है । दिल्ली के राजनितिक गलियारों की बातो को सच मानो तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी किसी कीमत पर मुख्यमंत्रियों को नहीं बदलने की मंशा राहुल और प्रियंका के सामने जाहिर कर चुकी हैं।