वित्त विभाग ने आदेश निकाला स्वेच्छिक वेतन कटौती की, और सॉफ्टवेयर बना दिया अनिवार्य कटौती का, कर्मचारियों में रोष….

रायपुर। कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों के एक एक दिन वेतन सहायता कोष में देने का आह्वान किया था। वित्त विभाग ने इसे लेकर एक आदेश जारी करते हुए उल्लेखित किया कि यह स्वैच्छिक वेतन कटौती होगी। स्वैच्छिक का अर्थ हुआ कि कोई दबाव नहीं है जिन कर्मचारियों को देना है वे दें जिन्हें नहीं देना है वे ना दें। लेकिन सॉफ़्टवेयर में कुछ ऐसी एंट्री हो गई है कि वह स्वैच्छिक की बजाय अनिवार्य हो गया है।
दरअसल जबकि वेतन बनाया जा रहा है तो सॉफ़्टवेयर उस वेतन को तब तक स्वीकार नहीं कर रहा है जब तक कि उसमें कटौती ना की जाए। सॉफ़्टवेयर में पूरा वेतन अपलोड होने की एंट्री नहीं हो रही है, सॉफ़्टवेयर में उपर मैसेज ब्लिंक हो रहा है।
“मुख्यमंत्री सहायता राशि की कटौती नहीं की गई है, कृपया कटौती करें”
इस व्यवस्था से स्वैच्छिक शब्द अनिवार्य में तब्दील हो गया है। जबकि एक दिन का वेतन सहायता राशि में देने की बात कही गई थी, तब भी कर्मचारियों में रोष और असहमति थी, इसके पीछे वजह यह भी थी कि कई कर्मचारियों के घरों में मरीज़ भी है तो शोक भी है, इसके साथ साथ मार्च के महिने में इंकमटैक्स समेत कई डिडक्शन पहले ही होते हैं, इन परिस्थितियों में कर्मचारियों में सहमति नहीं थी, पर स्वैच्छिक होने की वजह से वे निश्चिंत थे कि सहमति नहीं देंगे तो वेतन नहीं कटेगा, लेकिन अब अनिवार्य रुप से वेतन कटने से कर्मचारियों में क्षोभ देखा जा रहा है।