डॉक्टर रामविजय शर्मा ने की मीरपुर में ब्रम्हा जी के मंदिर की खोज…

चांपा। शोधकर्ता, इतिहासकार, पुरातत्वविद, तहसीलदार डॉ राम विजय शर्मा ने मिरतुर में ब्रह्मा जी के मंदिर की खोज की है। यह मंदिर आदिवासी परंपरा के अनुसार है, ब्रह्मा जी के मंदिर का पुजारी वैशाखु राऊत है। इस मंदिर की खोज डॉक्टर शर्मा द्वारा भैरमगढ़, जिला बीजापुर छत्तीसगढ़ के तहसीलदार पद पर रहते हुए किया गया था।
मिरतुर गांव जगदलपुर भोपालपटनम मार्ग पर नेलसनार से उतर कर 16 किलोमीटर की दूरी पर है, इस गांव में मुरिया जनजाति के लोग निवास करते हैं। ब्रह्मा जी सृष्टि के निर्माणकर्ता है, इस कारण यह सभी देवताओं में प्रथम स्थान पर माने जाते हैं। ब्रह्मा जी स्वयंभू ,वागीश, वेदनाथ, ज्ञानेश्वर, चतुर्मुख तथा आदि प्रजापति आदि नामों से भी जाने जाते हैं। ब्रह्मा जी के बारे में विस्तृत विवरण तथा सृष्टि की रचना की कथा ब्रह्म पुराण में विस्तृत बताई गई है। ब्रह्म पुराण सभी अठारह पुराणों में प्रथम स्थान पर है, अतः इसे आदि पुराण भी कहा जाता है।

सूत जी ने ब्रह्म पुराण की कथा को लोगों के बीच तथा साधु-संतों के बीच लखनऊ के पास सीतापुर में नैमिषारण्य में सुनाई थी। चारों वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के चार अलग-अलग मुख से हुई है, अतः उन्हें वेदनाथ भी कहा जाता है, ब्रह्मा जी ब्रह्मा लोक अथवा सत्यलोक में निवास करते हैं। इनके चार प्रतीक हैं जिससे वह पहचाने जाते हैं, यथा पद्म, वेद, जप माला, और कमंडल हंस भी बगल में रहता है।
उनके बाल बच्चे के रूप में मनु, शतरूपा, मनुष्य, चार कुमार, नारद, दक्ष, मरीचि ऋषि, अत्री, वशिष्ठ, पुलत्स्य, चित्रगुप्त, मृत्यु, बाला, अतिबाला, रूद्र, अंगिरा आदि माने जाते हैं। उनकी संगिनी के रूप में सरस्वती, सावित्री, और गायत्री मानी जाती हैं। मीरतुर के मुरिया आदिवासियों का मानना है कि, मिरतुर के ब्रह्मा जी के मंदिर में जो व्यक्ति दर्शन और पूजा अर्चना सच्चे मन से करता है, उसके घर में पति-पत्नी में मेलजोल बढ़ता है, तथा पति पत्नी में झगड़े नहीं होते। यदि युवक युवती के विवाह में बाधा आ रही हो, तो ब्रह्मा जी के मंदिर में पूजा अर्चना करने से वह निश्चित हो जाता है, तथा बाधा दूर होती है। ब्रह्मा जी के पूजा अर्चना करने से संतान हीन व्यक्ति को संतान प्राप्ति होती है, तथा वंश वृद्धि होती है।
इस प्रकार डॉ राम विजय शर्मा के मिरतुर में ब्रह्मा जी के मंदिर की खोज से छत्तीसगढ़ के पुरातत्व एवं धार्मिक इतिहास में एक पन्ना जुड़ गया है। इससे छत्तीसगढ़ का नाम देश दुनिया में जाना जाएगा। ब्रह्मा जी के हाथ में कोई हथियार नहीं है, इस कारण वे शांति के देवता माने जाते हैं। तथा ब्रह्मा जी के हाथ में एक वेद है, जो ज्ञान का प्रतीक है। आज के विश्व में शांति और ज्ञान की आवश्यकता है, इस दृष्टि से ब्रह्मा जी का अत्यधिक महत्व है। डॉ राम विजय शर्मा ने बताया कि मीरतुर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ब्रह्मा जी का मेला लगाने के लिए छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक मंत्री माननीय अमरजीत भगत से निवेदन करेंगे, तथा प्रस्ताव भेजेंगे ताकि इस मंदिर का प्रचार प्रसार देश दुनिया में हो सके।