रायगढ़।
डॉ राम विजय शर्मा शोधकर्ता इतिहासकार साहित्यकार एवं तहसीलदार चाम्पा को श्री परमहंस एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता पुरस्कार 2020 से नवाजा गया। यह सम्मान समारोह 4 जुलाई 20 20 को नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। डॉ राम विजय शर्मा ने अंतागढ़ अंचल की कोलर में बहुत बड़ी संख्या में पौराणिक ताड़पत्र पांडुलिपियों की खोज की थी। ये पांण्डुलिपियां ताड़पत्र पर लिखित है। तथा कोलर परगना के हलबा आदिवासियों द्वारा प्राचीन काल में लिखा गया है। यह खबर इंडिया टुडे में भी छपा था। इन ग्रंथों में देवपांजी, लक्ष्मी पुराण काग बोली ग्रंथ गणेश पुराण आदि प्रमुख हैं। देवपांजी से व्यक्ति के जीवन में आने वाली संकट एवं रोग दुःख का पता चल जाता है। इनसे निदान के लिए उसमें उपाय बताया गया है। लक्ष्मी पुराण में महालक्ष्मी की कथा है तथा बताया गया है की लक्ष्मी का अपमान करने से व्यक्ति जीवन भर दुख भोगता है। इसमें यह बताया गया है कि नारी का सम्मान करना चाहिए। लक्ष्मी पुराण में उस समय की सामाजिक स्थिति एवं आर्थिक स्थिति का विवरण भी उपलब्ध है। इसी तरह गणेश पुराण में गणेश जी की कथा है तथा किस तरह उनका सिर काटकर हाथी का सिर लगाया गया था। काग बोली ग्रंथ में काग भूसुण्डी जी की कथा है।
उल्लेखनीय है कि डॉ राम विजय शर्मा प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र एवं शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने आदिवासी समाज की संस्कृति पर भी अनेक शोध किया है। दलित समाज पर भी शोध किया है तथा उनकी संस्कृति को सम्मानित करने का प्रयास किया है। उन्होंने मीरतुर बीजापुर जिला में ब्रह्मा जी के मंदिर की खोज मृगाडांड मैं आदिवासी महाकवि कालिदास पंडों की जन्मस्थली की खोज तथा मुंगेली तहसीलदार रहते हुए नारायणपुर में प्राचीन शिव मंदिर की खोज किया था। जिसकी भीतरी दीवारों पर मिथुन प्रतिमाएं बनी है। मंदिर के भीतरी दीवारों पर मिथुन प्रतिमाएं भारत में अन्यत्र नहीं है। इस दृष्टि से नारायणपुर का प्राचीन शिव मंदिर भारत में इकलौता तथा अद्वितीय है। डॉ राम विजय शर्मा को इस प्रतिष्ठा पुरस्कार से नवाजा जाने पर चांपा अंचल के साहित्यकार इतिहासकार कृषक मजदूर तथा जन सामान्य डॉ शर्मा को बधाइयां प्रेषित करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।