राशन घोटाला को दबाने एक और जांच…

राशन घोटाला को दबाने एक और जांच…

विष्णु देव साय की सरकार में एक बात तो तय है कि घोटाले को दबाने के लिए अधिकारी कितनी भी जुगत लगा ले बचने वाले नहीं है।कांग्रेस शासनकाल में चार विभागों के बड़े घोटाले सुर्खियों में है। ये है आबकारी, राजस्व, खनिज और खाद्य। खाद्य विभाग के घोटाले में लिप्त अधिकारियों पर अभी केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी, ने जांच जारी रखी है, सीबीआई जल्दी ही हाथ डालने की तैयारी में है। ईओडब्ल्यू और एसीबी का छापा कभी भी पड़ सकता है।

खाद्य संचालनालय के अधिकारियों ने कांग्रेस शासनकाल में जमकर राशन दुकानों के जरिए अरबों का चांवल खुले बाजार में बेच कर भारी पैमाने में भ्रष्ट्राचार किया है। पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने विधानसभा में छह सौ करोड़ रुपए के घोटाले का मामला उठाया था। तकनीकी त्रुटि का मामला बता कर खाद्य संचालनालय का एक अधिकारी जो टुटेजा एंड कंपनी का साझेदार रहा है, एनआईसी में दखल देकर विभाग के पोर्टल में मनमानी करवाया। घोषणा पत्र के बचत में हेराफेरी करवाई।

अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया का डर दिखा कर मैदानी अमले से गलत काम करने का दबाव जूम कांफ्रेंस से दिया।
राशन घोटाले की गंभीरता को देखते हुए विधान सभा जांच समिति भी गठित हो गई है। इस जांच समिति के सामने घोटाले को दबाने के लिए नई नई तरकीब निकाली जा रही है। हाल ही प्रदेश की तेरह हजार राशन दुकानों में 31 मार्च की स्थिति में बचे राशन बचत की जांच का फरमान निकाला गया है।

इस जांच में मैदानी अमले पर
दबाव डाला जा रहा है कि दस दिन के भीतर विभाग के सारे काम छोड़कर राशन दुकान में जाकर बचे राशन बचत की जांच करे। इस काम के लिए राजस्व और सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मदद लेने के लिखित निर्देश दिए गए है। मौखिक रूप से ये भी कहा गया है कि इन दोनों विभागों के अधिकारियों को उन्हीं राशन दुकानों की जांच करवाई जाए जो ठीक हो।


ये भी निर्देश दिए गए है कि जिन राशन दुकानों के लिए राजस्व वसूली के आदेश हो चुके है उनकी जांच नहीं किया जाए। बता दे कि राजस्व वसूली का आदेश भी नियम विपरीत है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश में राशन दुकानों में गड़बड़ी पाई जाने जांच प्रतिवेदन, कारण बताओ नोटिस, जवाब के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में अनुविभागीय अधिकारियों के निर्णय के बाद राशन दुकान के द्वारा पालन न किए जाने के बाद राजस्व वसूली का प्रावधान है। खाद्य विभाग के मैदानी अमले पर कार्यवाही का डर बना कर बिना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से निर्णय के बगैर राजस्व वसूली के आदेश जारी करवा दिया गया है।

माना जा रहा है कि प्रदेश के पांच हजार राशन दुकान के लिए राजस्व वसूली के आदेश जारी किए गए है। इस कारण पांच हजार राशन दुकानों की जांच नहीं होगी। खाद्य संचालनालय के अधिकारी ने राशन घोटाले को दबाने के लिए खुले बाजार से घटिया चांवल खरीद कर रखने का भी जूम कांफ्रेंस में निर्देश दिया है। इस मामले में पुख्ता प्रमाण एनआईसी से भौतिक सत्यापन के लिए जारी पोर्टल में एंट्री करवाई गई है जिसमें सामान्य और फोर्टीफाइड चांवल की एंट्री का प्रावधान था। जब तक संचालनालय में एक अपर संचालक का दखल था, बिना राशन दुकान जाए सब दुकानों में बचत को ठीक बता दिया गया।


इस अधिकारी के हटने के बाद संचालक ने ऐसी व्यवस्था की है कि बिना राशन दुकान जाए भौतिक सत्यापन नहीं होगा। इस बार तकनीकी त्रुटि का प्रावधान भी हटा दिया गया है जिसके आड़ में पूर्व अपर संचालक ने अरबों के घोटाले को तकनीकी त्रुटि बताकर घालमेल करवाया गया है। मैदानी अमले का कहना है कि खाद्य संचालनालय ने सितंबर 2022 के बचत स्टॉक के बाद आबंटन संचालनालय ने जारी किया है। संचालनालय के ही विवादास्पद अधिकारी न तेरह हजार राशन दुकानों का घोषणा पत्र गायब करवा दिया है।

सितंबर 2022से सौ फीसदी आबंटन जारी किया गया है। इस कारण ये बताया जाना चाहिए कि किस राशन दुकान में कितना बचत है, ताकि जांच हो सके। राशन दुकानदारो ने मांग किया है कि चार साल में दस बार जांच कराई जा चुकी है। संचालनालय के अधिकारी एनआईसी में गड़बड़ी कर हर बार बचत की मात्रा को बदल रहे है। राशन दुकान संघ के पदाधिकारी मंत्री, सचिव, संचालक से मिलकर जांच से पहले दोषी अधिकारी को निलंबित करने और जांच एजेंसी से उसके क्रिया कलाप की जांच का ज्ञापन देने जा रहे है

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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