अपना टाइम आ गया, ‘एक राष्ट्र, एक समय’ की ओर बढ़ा देश, देसी वैज्ञानिकों ने किया कमाल…

अपना टाइम आ गया, ‘एक राष्ट्र, एक समय’ की ओर बढ़ा देश, देसी वैज्ञानिकों ने किया कमाल…


कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत को जीपीएस की सेवा देने से मना कर दिया था. इसके बाद भारत ने अपना नेविगेशन सिस्टम NavIC बनाया. NavIC का फ़ुल फ़ॉर्म है – भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम. यह भारत का अपना GPS सिस्टम है.

भारत ने NavIC और NPL को जोड़कर ‘एक देश, एक समय’ व्यवस्था बनाई.
एटॉमिक घड़ियों से सटीक समय मिलेगा, विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी.
प्रोजेक्ट से पावर ग्रिड्स, टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग, रक्षा सेक्टर को लाभ मिलेगा.

समंदर की गहराइयों से लेकर आसमां की ऊंचाइयों तक भारत के वैज्ञानिक हर जगह अपनी धाक जमा रहे हैं. हम चांद पर पहुंच गए हैं. मंगल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. सूर्य को समझने की योजना पर काम कर रहे हैं. इस बीच सीना चौड़ा करने वाली एक और खबर आई है.

■  मौजूदा वक्त में अपने देश में भारतीय मानक समय (IST) है, लेकिन वास्तविक समय जीपीएस सैटेलाइट्स से निर्धारित होता है, जो मिलीसेकंड तक सटीक होता है और यह कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से जुड़ा होता है.
■  लेकिन अगले कुछ महीनों में यह बदलने वाला है. अब नेविगेशन विद इंडियन कंसटलेशन (NavIC) को राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) से जोड़ा जाएगा, जो समय का संदर्भ प्रदान करेगा.
■  फरीदाबाद में स्थित NPL को NavIC से समय मिलेगा, जिसे ऑप्टिक फाइबर लिंक के माध्यम से अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और गुवाहाटी जैसे चार अन्य केंद्रों तक भेजा जाएगा. इन जगहों पर एटॉमिक घड़ी स्थापित की जाएंगी.
■  एटॉमिक घड़ियों के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित होगा कि डिजिटल घड़ी, स्मार्टफोन और लैपटॉप पर जो समय दिखे, वह एटॉमिक घड़ियों से लिया गया हो, न कि सर्विस प्रोवाइडर्स से जीपीएस आधारित डेटा से. जल्द ही ये क्षेत्रीय केंद्र सभी उपयोगकर्ताओं तक समय पहुंचाएंगे, जिससे ‘एक देश, एक समय’ की व्यवस्था लागू होगी.
■  रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में नैनोसेकंड की सटीकता के साथ समय का होना जरूरी है। दूरसंचार, बैंकिंग, रक्षा और 5जी और एआई जैसी तकनीक में सटीक समय का पालन अहम है। समय में थोड़ा हेरफेर से बड़ा नुकसान हो सकता है। इस वजह से केंद्र सरकार पूरे देश में एक जैसी समय प्रणाली लागू कर रही है।
■  कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक एक टाइम जोन लागू है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों ने अलग टाइम जोन की मांग की है। उनका तर्क है कि इन प्रदेशों में सूर्योदय और सूर्यास्त जल्दी हो जाता है। इस वजह से स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक समय का निर्धारण किया जाए। अभी भारत के मध्य से गुजरती रेखा के आधार पर टाइम का निर्धारण होता है। मध्य से निर्धारण इसलिए किया जाता है ताकि यह पूरे देश के समय को कवर कर ले।
■  किसी भी देश का मानक समय अक्षांश-देशांतर में अंतर के आधार पर तय होता है। भारत में समय का निर्धारत दिल्ली स्थिति राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला करती है। अभी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज को केंद्र मानकर समय का निर्धारण होता है।

कई बड़े देशों में अलग-अलग टाइम जोन होते हैं। मसलन, अमेरिका और रूस में 11-11 टाइम जोन हैं। कनाडा में छह टाइम जोन हैं। फ्रांस एक छोटा देश है। मगर वहां 12 टाइम जोन हैं। भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में एक ही टाइम जोन है। मगर अभी तक व्यापारिक, प्रशासनिक और अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग टाइम मानक का इस्तेमाल होता रहा है। मगर नए नियम से अनिवार्य रूप से सभी को एक टाइम जोन आईएसटी को चुनना होगा।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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