निगम महापौर की ”अजीब है कहानी” कभी एक मजदूर इस सीट पर बैठता है, कभी हाउस वाईफ तो कभी किन्नर, अब क्या चाय वाला बनेगा महापौर…..!

रायगढ़। नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होनें के बाद अब प्रत्याशियों की भी घोषणा हो चुकी है। रायगढ़ नगर निगम के सभी 48 वार्डो के साथ-साथ महापौर के नामों की घोषणा कांग्रेस भाजपा के साथ-साथ पहली बार आप पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है लेकिन इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह भले ही जनता के हाथ में है कि वे किसको वोट देकर मेयर की सीट पर बिठाने की तैयारी कर रहे हैं पर रायगढ़ नगर निगम मेयर की सीट पर अजब-गजब कहानी जुडी हुई है।
रायगढ़ नगर निगम पहली बार 2004 में बना और इस नगर निगम में पहले मेयर के रूप में कांगे्रस के जेठूराम मनहर ने जीत हासिल करके सभी चैका दिया। जेठूराम मनहर एक कापी कारखाना में बतौर मजदूर काम करते हुए अपनी पहचान जनता के बीच बनाने में कामयाब हुए थे और अपने पहले चुनाव निर्दलीय के रूप में 1994-94 में जीत कर यह बता दिया था कि एक मजदूर भी राजनीति मैदान में जीत सकता है और उन्होंने पार्षद बनने के बाद भी अपनी मजदूरी जारी रखी थी। इसके बाद उन्हें महापौर प्रत्याशी बनाया गया तब उन्होंने मजदूरी छोड़कर राजनीति को अपना कार्यक्षेत्र बनाते हुए पहले महापौर के रूप में नगर निगम की कुर्सी में बैठने का गौरव हासिल किया।
अब हम आपको दूसरी कहानी के रूप में बता दें कि नगर निगम में रेल लाइन की दूसरी तरफ रहने वाले महेन्द्र चौहथा को जीत हासिल हुई और उन्होंने 2009 में जेठूराम मनहर को हराकर महापौर का पद हासिल किया। रायगढ़ की जनता के लिये महेन्द्र चौहथा ऐसे प्रत्याशी थे जिन्हें पहचान बनाने में वक्त लगा लेकिन भाजपा की कार्यशैली व उनकी रणनीति से पहली बार नगर निगम में भाजपा ने जीत का परचम लहराया। मजे की बात यह है कि वर्ष 2013-14 में नगर निगम में इतना बड़ा उलट फेर हुआ कि जनता ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मेयर सीट पर निर्दलीय चुनाव लड रही किन्नर मधु बाई चौहान को भारी मतों से जीताते हुए सभी को चैका दिया। मेयर बनने वाली मधुबाई चौहान पहली किन्नर थे जिसने पूरे देश में चर्चा का विषय बनी।
चैथे महापौर के रूप में एक हाउस वाईफ जानकी काटजू की ताजपोशी हुई। 2019 में कांगे्रस शासनकाल के दौरान नगर निगम चुनाव में महापौर के सीधे चुनाव करवाने की बजाये पार्षदों द्वारा चुने जाने की घोषणा होनें से कांगे्रस पार्टी के ज्यादातर पार्षद जीत कर आये और इस चुनाव में भाजपा के अधिकांश बागियों ने भाजपा का खेल बिगाडा और यही कारण है कि कांगे्रस के पार्षदों की संख्या 26 होनें से जानकी काटजू को बतौर महापौर चुना गया। अब इन चारो महापौर की रोचक कहानी यह भी है कि दो महापौर उसी मोहल्ले से मिले जहां एक दूसरे के सामने उनके घर हैं तो वहीं रेल लाइन के उस पार रहने वाले महेन्द्र चौहथा तथा मधुबाई किन्नर भी रेल लाइन के दूसरी छोर रहने वाली थी वहीं अब एक बार फिर से मामला रेल लाइन के उस पार का है जहां से चाय बेचने वाले जीवर्धन चैहान को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है और मात्र एक दिन के भीतर ओपी चौधरी व उनकी टीम ने जीवर्धन को सोशल मीडिया में इतना लोकप्रिय कर दिया कि पूरे छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि देश में जीवर्धन चौहान चाय वाले के रूप में बीजेपी के महापौर प्रत्याशी के रूप में लोकप्रिय होते जा रहे हैं।
बहरहाल देखना यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्हें चाय वाला के नाम से आज भी जाना जाता है और अब भाजपा ने हमेशा चौकाने वाले अंदाज में एक गरीब तबके के जमीन से जुड़े भाजपा कार्यकर्ता को महापौर प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है जो चाय बेचकर अपना जीवन यापन करता है। उसे लेकर रायगढ़ शहर की जनता उन्हें कितना समर्थन देती है यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन इतना तय है कि इस बार चाय बेचने वाले ने धमाका तो जोरदार कर दिया है।