भारत की ट्राजन तोप पर आया आर्मेनिया का दिल, पाकिस्तान के दोस्त की बढ़ेगी मुश्किल, जानें कितनी है ताकतवर

अजरबैजान के साथ युद्ध के बाद अपनी सेना के आधुनिकीकरण में जुटे आर्मेनिया ने भारत की ट्राजन 155 मिमी तोप के लिए आर्डर दिया है। यह महत्वपूर्ण कदम भारत और आर्मेनिया के बीच एक गहरे रक्षा सहयोग को दर्शाता है। आर्मेनिया ने इसके पहले रॉकेट, रडार और मिसाइल प्रणालियों समेत उन्नत रक्षा प्रोद्यौगिकियों की एक विस्तृत शृंखला के लिए भारत के साथ डील की है। आर्मेनिया ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी साझेदारी में विविधता लाने की कोशिश की है। खासतौर पर जब इसके प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के दोस्त अजरबैजान को तुर्की भारी मदद कर रहा है।
ट्राजन तोप की खासियत
भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ट्राजन तोप को तीसरे देश से ऑर्डर मिलना भारत की कम लागत वाली विनिर्माण क्षमता को दिखाता है। लार्सन एंड ट्रुबो (L&T) और केएनडीएस फ्रांस के साथ मिलकर विकसित इस आर्टिलरी सिस्टम का भारतीय सेना परीक्षण कर चुकी है और इसने सभी गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा किया है। यह दलदली मैदानों से लेकर उच्च ऊंचाई वाले ठंडे रेगिस्तानों तक विभिन्न इलाकों में संचालन करने में सक्षम है।
आर्मेनिया को हथियार आपूर्ति के लिए भारत एक बड़ा सहारा बन रहा है।
भारत ने 2022 में भारत ने आर्मेनिया को 250 मिलियन डॉलर के मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, एंटी-टैंक हथियार और युद्ध सामग्री दी थी।
बीते साल भी आर्मेनिया ने भारत से एंटी ड्रोन सिस्टम के लिए डील की है।
2022 में आर्मेनिया ने 6,000 करोड़ रुपए की लागत से 15 आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए भारत के साथ एक समझौता किया था।
आर्मेनिया इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने वाला पहला विदेशी देश है।
इस मिसाइल प्रणाली में 96 प्रतिशत स्वदेशी घटक हैं। इसे 2014 में भारतीय वायु सेना और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
यह गन सिस्टम लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और KNDS France द्वारा बनाया गया है. भारतीय सेना ने इस 52-कैलिबर गन सिस्टम का परीक्षण किया है और इसे दलदली मैदानों और ऊंचाई वाले ठंडे रेगिस्तानों में सफलतापूर्वक ऑपरेट करने में सक्षम पाया है.
इस गन सिस्टम के कई उप-प्रणालियां, जैसे ऑक्सिलरी पावर यूनिट, कंट्रोल पैनल और रोलिंग गियर असेंबली, भारत में ही स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं.
ये तोपें आर्मेनिया में पहले से मौजूद भारतीय मूल के हथियारों की श्रृंखला में एक और इजाफा करेंगी. इनमें मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, आर्टिलरी गन और विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद शामिल हैं. आर्मेनिया पहले ही स्वदेशी एडवांस टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम का उपयोग कर रहा है.
इसी तरह, पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के पहले लॉन्चर और संबंधित उपकरण भी आर्मेनिया पहुंच चुके हैं. “मेक इन इंडिया” पहल के तहत यह पिनाका सिस्टम आर्मेनिया को $250 मिलियन के निर्यात अनुबंध के तहत भेजा गया है. पिनाका सिस्टम, जिसे भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है, पुणे स्थित आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) द्वारा विकसित किया गया है।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने देश में रक्षा निर्यात और उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इसका उद्देश्य न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग को पूरा करना है.
अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया भारत के प्रमुख रक्षा निर्यात ग्राहकों के रूप में उभरे हैं. 2014-15 के बाद से भारत में रक्षा उत्पादन का मूल्य तीन गुना बढ़ा है. 2014-15 में जहां भारतीय कंपनियों ने 46,429 करोड़ रुपये का उत्पादन किया था, वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 1,27,265 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.