बलात्कार के दोषसिद्ध अपराधी आसूमल थाऊमल सिरुमलानी उर्फ आसाराम को मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम जमानत की अवधि तीन महीने बढ़ा दी गई है…

गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा प्राप्त आसूमल थाउमल सिरुमलानी ऊर्फ आसाराम की स्वास्थ्य आधार पर मिली अंतरिम जमानत की अवधि को 90 दिनों के लिए बढ़ाने का निर्णय दिया है। इस निर्णय के पहले विचारण के दौरान राज्य की ओर से कोई विरोध दर्ज नहीं किया गया।
खंडपीठ में विभाजित फैसला फिर तीसरे जस्टिस ने किया आदेश
आसूमल ऊर्फ आसाराम की ओर से यह याचिका दायर की गई थी कि, वह गंभीर रुप से बीमार हैं और उपचार हेतु वह आयुर्वेदिक उपचार की ज़रूरत महसूस करता है। जिसके लिए उसे निरंतर योग्य चिकित्सकों की आवश्यकता है। इसलिए उसकी अंतरिम जमानत अवधि तीन महीने बढ़ाई जाए। इस याचिका की सुनवाई की जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस संदीप एन भट्ट ने की। पीठ ने इस याचिका पर विभाजित याने परस्पर विरोधी फैसला सुनाया। विभाजित फ़ैसले का अर्थ हुआ कि जब किसी मसले पर दो जजों की राय अलग अलग हो। विभाजित फैसले के बाद इस याचिका की सुनवाई जस्टिस ए एस सुपेहिया ने की। जस्टिस सुपेहिया ने आसूमल की स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत याचिका की अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी है।
अदालत ने कहा
गुजरात हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए इस तथ्य को रेखांकित किया है कि, आसूमल की याचिका का राज्य की ओर से विरोध नहीं किया गया है। साथ ही राज्य ने यह भी नहीं कहा है कि याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत अवधि के दौरान कोई दुरपयोग किया। अदालत ने यह माना है कि याचिकाकर्ता को अपने उपचार की अनुमति दी जानी चाहिए।