जेठूराम ने सिंहदेव, महंत, बैज, डहरिया व उमेश पटेल का ऑफर ठुकराया…

कांग्रेस को अलविदा कह चुके रायगढ़ नगर निगम के प्रथम महापौर जेठूराम मनहर क्या यू-टर्न लेंगे, या भाजपा में शामिल होंगे, क्या महापौर चुनाव में वे तटस्थ बने रहेंगे। ऐसे कई सवालात हैं-जो सियासी फलक पर तैर रहे हैं। वहीं, जेठूराम की चुप्पी ने इस सियासी मसले को और पेचीदा बना दिया है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उनकी नाराजगी दूर करने की भरसक कोशिश की है, लेकिन जेठूराम अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। नगर निगम चुनाव में जेठूराम की सिसायी भूमिका को लेकर अनिश्चितता खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। जेठूराम काफी दिनों से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। जेठूराम की नाराजगी वर्ष 2019 में शुरू हुई थी। तत्कालीन नगर निगम चुनाव में जेठूराम वार्ड नंबर 4 से अपनी सुपुत्री को उम्मीदवार बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के पावर सेंटरों से काफी मिन्नतें भी की, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने जेठूराम की बातों को एक सिरे से खारिज करते हुए श्रीमती जानकी अमृत काटजू को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उसके बाद जेठूराम कांग्रेस की ‘बी’ टीम के अहम हिस्सा बन गए।
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जेठूराम को काफी समझाने-बुझाने का प्रयास किया कि वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक के पक्ष में खुलकर मोर्चा सम्हालें, लेकिन जेठूराम तो कोप भवन में चले गए थे और भूपेश बघेल के कहने के बावजूद जेठूराम ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार-प्रसार से किनारा कर लिया था। कुछ महीनों पहले जेठूराम ने कांग्रेस की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उसके बाद उन्होंने कोई दूसरी पार्टी ज्वाईन नहीं की है, लेकिन कांग्रेस ने फिलहाल जेठूराम की नाराजगी दूर करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत और पूर्व मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने जेठूराम का मान-मनौव्वल किया। इन सभी नेताओं ने जेठूराम को समझाया कि वे अपना इस्तीफा वापस ले लेवें और उसके बाद कांग्रेस में उन्हें सम्मानजनक स्थान मिलेगा। वहीं रायगढ़ जिला कांग्रेस के पावर फुल नंदेली हाऊस ने भी उन्हें एप्रोच किया था। पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने भी जेठूराम से इस्तीफा वापस लेने को कहा है मगर जेठूराम अपने रूख पर कायम हैं। अब जबकि एक महीने बाद नगर निगम चुनाव संभावित हैं इसलिए लोगों की नजर जेठूराम के किरदार पर टिकी हुई है कि वे क्या फैसला करते हैं ?