आईडीएफसी बैंक कर रहा गोल्ड लोन घोटाला..
शाखा प्रबंधक की भूमिका संदेह में..
आम जनता का बैंकिंग व्यवस्था में भरोसा हो रहा कम..

खरसिया। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के खरसिया शाखा में गोल्ड लोन में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है जिसमे पीड़ित व्यक्ति ने सोशल मीडिया के माध्यम से बैंक पर गंभीर आरोप लगाए हैं वहीं बैंक प्रबंधन इस संबंध में कोई जानकारी तक देने को तैयार नहीं है, जिससे लगता है कि आरोप सत्य है और बैंक के द्वारा गोल्ड लोन में घोटाला कर जहां अपने वरिष्ठ अधिकारियों को धोखे में रखा जा रहा है, साथ ही बैंक को वित्तीय हानि भी पहुचाई जा रही हैं वहीं भोले भाले ग्रामीणों के नाम पर लोन कर के उनका भी शोषण किया जा रहा है।
आज के डिजिटल युग मे जब सरकार के द्वारा ऑनलाइन भुगतान को प्रोत्साहित किया जा रहा है ऐसे में बैंक चाहे सरकारी हो या प्रायवेट, लोगों को उसमे खाता रखना तथा लेनदेन करना मजबूरी बन चुकी है। कुछ वर्षों पहले तक जरूरी नहीं था कि किसी व्यक्ति का बैंक में खाता होना जरूरी हो लेकिन आज के समय मे शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसके किसी भी बैंक या में खाता न हो, क्योकिं डिजिटल भुगतान के साथ साथ शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी लाभार्थी को बैंक के माध्यम से ही प्राप्त होता है। इसी के साथ अगर किसी व्यक्ति को बैंक से कर्ज चाहिए तो भी बैंक में खाता होना आवश्यक होता है, लेकिन ऐसे समय मे जब बैंकिंग व्यवस्था आम आदमी के लिए अति आवश्यक हो चुकी है कुछ बैंक के कर्मचारियों अधिकरियो की वजह से आम जनता का भरोसा बैंकिंग व्यवस्था से खत्म होता जा रहा है और लोग अपनी जमा पूंजी बैंक में रखने से कतराने लगे है। खरसिया के ही सेंट्रल बैंक में खाता धारकों के खातों से लाखों की रकम की फर्जी निकासी किये जाने का मामला अभी खत्म भी नहीं हो पाया था कि खरसिया के ही आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के शाखा प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों के द्वारा गोल्ड लोन में गड़बड़ी किये जाने का मामला प्रकाश में आया है जहां किसी बैंक के ही अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा अपने खुद के सोने को किसी अन्य व्यक्ति के नाम से अपने ही बैंक में गिरवी रखकर रकम निकाल ली गयी तथा उक्त रकम को तत्काल किसी तीसरे व्यक्ति के खाते में डाल दिया गया, मामला प्रकाश में तब आया जब खाता धारक को तय की गई रकम नहीं दी गयी तो खाता धारक के द्वारा बैंक प्रबंधन के इस गड़बड़झाले के संबंध में पीड़ित ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने साथ हुई धोखाघड़ी का खुलासा करते हुए दोषी अधिकारी और कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
प्राप्त सूचना के अनुसार सिद्धार्थ पांडे नामक युवक को आईडीएफसी बैंक से किसी ओम पटेल नामक कर्मचारी ने बैंक बुलाया और कहा कि बैंक के शाखा प्रबंधक रजत लाल का सोना है और वे इससे लोन लेना चाहते हैं चूंकि वे खुद शाखा प्रबंधक है इसलिए उनके नाम से इस बैंक में लोन नहीं हो सकता इसलिए तुम अपने नाम से लोन लेकर उन्हें दे दो इसके एवज में 5 प्रतिशत कमीशन दिए जाने की बात भी ओम पटेल के द्वारा कही गई, जिस पर सिद्धार्थ पांडे ने अपने नाम से गोल्ड लोन करवा लिया और उनके खाते में 528000 आ भी गए परन्तु थोडी ही देर बाद उनके खाते से उक्त रकम को ट्रांसफर भी कर दिया गया। मोबाइल में मैसेज आने पर इस संबंध में जब खाता धारक ने ओम पटेल से जानकारी लेनी चाही तो उन्हें बताया गया कि हमने अपना पैसा वापिस ले लिया है और आपका लोन खाता बन्द कर दिया जाएगा, जब खाता धारक ने अपने खाते की जानकारी निकलवाई तो पता चला कि लोन की रकम बैंक को वापिस होने की जगह किसी मनोज कुमार के खाते में ट्रांसफर कर दी गयी है, इस संबंध में जब सिद्धार्थ पांडे ने पूछताछ की तो ओम पटेल ने ब्रांच मैनेजर रजत लाल से बात करने को कहा लेकिन रजत लाल ने उनसे कोई बात नहीं की। पीड़ित ने इस संबंध में खरसिया पुलिस चौकी में भी शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर उनके द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से अपने साथ धोखाघड़ी करने वाले ओम पटेल तथा रजत लाल के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने की मांग बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से की है।
क्या है गड़बड़झाला
इस पूरे मामले में जांच का मुख्य विषय यह है कि जिस सोने को बैंक में रखकर लोन लिया गया वो सोना किसका था और वो सोना भी था या नही, क्योकि जिस सोने को रजत लाल ने अपना बताकर सिद्धार्थ पांडे के नाम से लोन कराया था अगर वो सोना ही था तो उसने अपने नाम से लोन क्यों नहीं लिया क्यों अपने खुद के सोने को अनजान व्यक्ति को देकर उसके नाम से अपने ही बैंक में लोन कराया गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि सोने के नाम पर पीतल अथवा कोई अन्य धातु रखकर लोन करा लिया गया हो, तभी पीड़ित को 5 प्रतिशत कमीशन का लालच दिया गया था। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक खरसिया शाखा के विगत पांच सालों के रिकार्ड चेक कराया जाना चाहिए तथा पिछले पांच सालों के दौरान हुए सभी गोल्ड लोन के एवज में गिरवी रखे गए सोने की भी जांच कराई जानी जाती आवश्यक है साथ ही इस बात की भी जांच हो कि विगत पांच सालों में कितने गोल्ड लोन बैंक ने दिए है और कितने आज तक चालू हैं, क्योकि इस मामले के सामने आने से ये तो तय है कि बैंक के ही अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा सांठगांठ कर बैंक को लोन के नाम पर चूना लगाया जा रहा है, हो सकता है कि ऐसे कितने ही फर्जी लोन अभी तक चालू हों। इस पूरे मामले की गहराई से जांच और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही जरूरी है जिससे आम जनता का बैंकिंग व्यवस्था पर भरोसा कायम रहा सके।
बैंक के संबंध में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, कोई शिकायत आएगी तो जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी।
अमित तिवारी
चौकी प्रभारी , पुलिस चौकी खरसिया
मैं इस संबंध में कोई भी जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हूं।
रजत लाल
शाखा प्रबंधक आईडीएफसी फर्स्ट बैंक खरसिया