शिक्षकों ने फैलाया  सोशल मीडिया में धार्मिक उन्माद !  04 लोगों पर खरसिया थाने में गंभीर धाराओं में FIR दर्ज..!!

शिक्षकों ने फैलाया  सोशल मीडिया में धार्मिक उन्माद !  04 लोगों पर खरसिया थाने में गंभीर धाराओं में FIR दर्ज..!!
  • व्हाटसअप ग्रुप के जरिए धार्मिक उन्माद फैलाने की शिकायत पर 04 लोगों पर खरसिया थाने में FIR दर्ज
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  • संवेदनशील मामले में आरोपियों की धरपकड़ हुई तेज, एक आरोपी खरसिया पुलिस की हिरासत में।
  • खरसिया। फेसबुक पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रति अमर्यादित टिप्पणी को लेकर चार लोगों के ऊपर गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। 5 अगस्त राम मंदिर भूमि पूजन के दिन कुछ लोगों के द्वारा सोशल मीडिया में अमर्यादित टिप्पणी की गई। जिसको लेकर खरसिया थाने में अपराध दर्ज किया गया। इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपियों में से दो आरोपी शिक्षक हैं, अगर शिक्षक ही धार्मिक उन्माद फैला है तो बच्चों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा ?? यह वाकई भविष्य के लिए सोचने का सवाल है..?

प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में ठेकेदारी के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े सुनील अग्रवाल द्वारा आज शनिवार को चौकी खरसिया में रिपोर्ट दर्ज कराया गया कि खरसिया की आवाज नाम से बने एक व्हाटसअप ग्रुप में खरसिया एवं रायगढ़ के कई वर्ग के लोग जुड़े हैं । इसी ग्रुप में अरविंद बंजारे, दिनेश घृतलहरे , सुरेश नारंग एवं दानी लाल धीरहे द्वारा एक धर्म विशेष को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी किया गया। जिसे लेकर सुनील अग्रवाल द्वारा चौकी खरसिया में शिकायत आवेदन दिये। आवेदन पर से आरोपीगण के विरुद्ध अपराध क्रमांक 323/2020 धारा 295-A, 298, 34, 505(2) IPC 67 IT Act. दर्ज किया गया।

टीम बनाकर आरोपियों की धरपकड़

मामले की संवेदलशील देखते हुए एसडीओपी खरसिया श्री पिताम्बर पटेल द्वारा खरसिया थाना प्रभारी निरीक्षक एस.आर. साहू के नेतृत्व में चौकी खरसिया एवं स्टाफ की आरोपियों की गिरफ्तारी के लिये अलग-अलग टीम बनाये। आज आरोपियों की गिरफ्तारी के लिये विभिन्न स्थानों पर पुलिस टीम द्वारा दबिश दी गई। प्रकरण का एक आरोपी अरविंद बंजारे पिता नारायण बंजारे उम्र 33 साल निवासी तेलीकोट थाना खरसिया को गिरफ्तार किया गया है। अन्य आरोपी फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिये धरपकड़ की कार्यवाही जारी है।

सूत्रों से पता चला है कि 4 आरोपियों में से तीन आरोपी शासकीय कर्मचारी हैं। जिसमें 2 शिक्षक हैं और आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर शिक्षक ही इस तरह की मानसिकता लेकर उन्माद फैलाए तो बच्चे को किस तरह की शिक्षा देगा, यह भी एक सोचनीय विषय है! क्या ऐसे शिक्षकों को वाकई शिक्षा देने का अधिकार है, जो एक विकृत मानसिकता से ग्रसित हो, जो एक धर्मनिरपेक्ष देश में संविधान से हटकर एक घृणित मानसिकता का प्रचार करते हो। हालांकि शिक्षा विभाग की कार्यशैली सबको मालूम है और वह शिक्षा को लेकर कितना गंभीर है यह सरकारी स्कूलों का रिजल्ट बताता है। उसके बावजूद भी समाज को बांटने वाले सोच को लेकर एक शिक्षक अपने शिष्यों को क्या और किस तरह की शिक्षा देगा ? यह सबको मालूम है। चाहे कुछ भी हो धर्मनिरपेक्ष भारत में इस तरह की मानसिकता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाता शायद यही वजह है कि इसके लिए कानून बनाया गया है।

Sunil Agrawal

Chief Editor - Pragya36garh.in, Mob. - 9425271222

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