महिलाओं को न्याय देने का मतलब यह कतई नहीं है कि पुरुषों के साथ जानबूझकर अन्याय किया जाए : डॉ. नायक

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को रायपुर के जलविहार स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं के उत्पीड़न संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। डॉ. नायक ने कहा कि महिला आयोग द्वारा लगातार विभिन्न जिलों में महिलाओं की समस्याओं को सुलझाया जा रहा है। इसी क्रम में रायपुर में तीन दिनों तक महिलाओं के प्रकरणों की सुनवाई की जाएगी। आज पहले दिन सुनवाई के लिए 21 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए।
अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा है कि महिला आयोग महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए निष्पक्ष होकर कार्रवाई करता है। उन्होंने बताया कि कई मामले आयोग में आते हैं जो पहले से न्यायालय में विचाराधीन होते हैं। यदि पहले से न्यायालय में मामला विचाराधीन है ऐसी स्थिति में महिला आयोग के हांथ बंधे होते हैं और आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता। महिला आयोग नियम और कानूनों से बंधा है। महिलाओं को न्याय देने का मतलब यह कतई नहीं है कि पुरुषों के साथ जानबूझकर अन्याय किया जाए।
डॉ. नायक ने बताया कि आयोग में शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, सम्पत्ति विवाद जैसे कई प्रकरणों की सुनवाई की जाती है, इनमें अधिकांश मामले पारिवारिक विवाद के होते हैं, लेकिन थाने में लंबित मामलों की सुनवाई आयोग में नहीं हो सकती। पुलिस द्वारा यदि मामलों पर कार्यवाही नहीं की जाती, तब ऐसी स्थिति में महिला आयोग मामले का संज्ञान ले सकती है।
आयोग के समक्ष आए एक प्रकरण में अनावेदक सरकारी शिक्षिका द्वारा बिना तलाक लिए दो विवाह की शिकायत आई। सुनवाई के दिन अनावेदिका ने स्वयं को गर्भवती बताकर उपस्थित नहीं होने विषयक सूचना आयोग को प्रेषित की। आयोग ने अनावेदिका को आगामी तिथि पर मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ उपस्थित होने के लिए समय दिया है।
अनावेदकों की अनुपस्थिति पर डॉ. नायक ने कड़ा रूख अपनाते हुए उनके निवास स्थान से संबंधित थानों में सूचना देकर उपस्थिति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं, इस संबंध में उन्होंने संबंधित पुलिस अधीक्षक को भी पत्र प्रेषित करने कहा है।